SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 299
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बहुत बहुमूल्य सूत्र है। एकएक शब्द को ठीक से समझने की कोशिश करें। 'किया और अनकिया कर्म... । ' मनुष्य उससे ही नहीं बंधता जो करता है; उससे भी बंध जाता जो करना चाहता है। किया या नहीं, इससे बहुत भेद नहीं पड़ता करना चाहा था तो बंधन निर्मित हो जाता चोरी की या नहीं- अगर की तो अपराध हो जाता है, लेकिन न की हो तो भी पाप तो हो ही जाता है। पाप और अपराध का यही भेद है। सोचा, तो पाप तो हो गया। कोई पकड़ नहीं सकेगा। कोई अदालत, कोई कानून तुम्हें अपराधी नहीं ठहरा सकेगा, अपने घर में बैठ कर तुम सोचते रहो-डाके डालना, चोरी करनी हत्या करनी- कौन नहीं सोचता है! विचार पर समाज का कोई अधिकार नहीं, जब तक कि विचार कृत्य न बन जाए। इस कारण तुम इस भांति में मत पड़ना कि विचार करने में कोई पाप नहीं, क्योंकि तुमने विचार किया, तो परमात्मा के समक्ष तो तुम पापी हो ही गए। तुमने सोचा- इतना काफी है; तुम तो पतित हो ही गए। विचार की तरंग उठी, न बनी कृत्य इससे भेद नहीं पड़ता लेकिन तुम्हारे भीतर तो मलिनता प्रविष्ट हो गई। किया, तो अपराध बन जाता है; न किया, सोचा, तो भी पाप बन जाता है। और अपराध से तो बचने के उपाय हैं; क्योंकि कानून, अदालत, पुलिस, इनसे बचने की व्यवस्थाएं खोजी जा सकती हैं, खोज ली गई हैं। जितने कानून बनते हैं, उतना कानून से बचने का उपाय भी निकल आता है। आखिर वकीलों का सारा काम ही वही है। 'वकील' शब्द सूफियों का है- बडी बुरी तरह विकृत हुआ। वकील के जो मौलिक अर्थ हैं वे हैं. जो परमात्मा के सामने तुम्हारा गवाह होगा कि तुम सच हो । मुहम्मद वकील हैं। वे परमात्मा के सामने गवाही देंगे कि ही, यह आदमी सच है। लेकिन फिर वकील शब्द का तो बड़ा अजीब पतन हुआ। अब तो तुम झूठ हो या सच, तुम्हारे लिए जो गवाही दे सकता है और प्रमाण जुटा सकता है कि तुम सच हो; वस्तुतः तुम जितने झूठे हो, उतना ही जो प्रमाण जुटा सके कि तुम सच हो - वह उतना ही बड़ा वकील। अगर तुम सच हो और वकील तुम्हें सच सिद्ध करे तो उसकी वकालत का क्या मूल्य? कौन उसको वकील कहेगा? वकील तो हम उसी को कहते हैं इस दुनिया में, जो झूठ को सच करे, सच को झूठ करे। सूफियों का शब्द था वकील और वकील का अर्थ था : गुरु तुम्हारा वकील होगा। वह तुम्हें परमात्मा के सामने प्रमाण देगा कि मेरी गवाही सुनो, यह आदमी सच है। जीसस ने कहा है अपने अनुयायियों से कि 'तुम घबड़ाना मत, आखिरी क्षण में मैं तुम्हारा गवाह रहूंगा। मेरी गवाही का भरोसा रखना। 'वह वकालत है। लेकिन साधारणतः तो वकील का अर्थ है, जो तुमसे कहे : घबड़ाओ मत पाप किया, झूठ बोले, चोरी की—कोई फिक्र मत करो, कानून से बचने का उपाय है। आदमी ऐसा कोई कानून तो खोज ही नहीं सकता, जिससे बचने का कोई उपाय न हो। आदमी ही कानून खोजता है, आदमी ही कानून से बचने का उपाय भी खोज लेगा।
SR No.032110
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages407
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy