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________________ ओढ़े हुए हैं। अभ्यास अब भी जारी होगा। खयाल करना, महागीता कहती है. चुनो मत! क्योंकि चुनोगे तो अहंकार से ही चुनोगे न? चुनोगे तो 'मैं' करने वाला हूं-कर्ता हो जाओगे न। महागीता कहती है. न कर्ता, न भोक्ता-तुम साक्षी रहो। तुम अगर पाओ कि बाजार में बैठे हैं और सब ठीक है-तो ठीक है, बाजार ठीक है। तुम अगर पाओ कि नहीं, चल पड़े पैर, जंगल बुलाने लगा, आ गई पुकार-अब रुकते-रुकते भी रुकने का कोई उपाय नहीं, अब तुम चल पड़े, अब तुम दौड़ पड़े, जैसे बज गई कृष्ण की बांसुरी और भागने लगीं गोपियां कोई ने आधा अभी दूध लगाया था, उसने पटकी मटकी वहीं, वह भागी; कोई अभी दीया जला रही थी, उसने दीया नहीं जलाया और भागी। बंसी उठी पुकार! अब कैसे कोई रुक सकता है! जिस दिन ऐसा सहज घटता हो, जिस दिन तुम जवाब न दे सको कि क्यों किया, तुम्हारे पास कोई तर्क न हो कि क्यों ऐसा हुआ तुम इतना ही कह सको कि बस हुआ, हम देखने वाले थे, हम करने वाले नहीं थे-तो महागीता कहती है, तो अष्टावक्र कहते हैं-तों असली संन्यास, सहजस्फूर्त! तो पहली तो बात है, पूछा है, 'तो वह व्यक्ति क्या करे-बाजार चूने कि जंगल त्र: ' चुना कि भटका। चुनाव में संसार है, अगर वह जंगल भी चुने तो संसार है, चुनाव में संसार है। और अगर वह बिना चुने बाजार में भी रहे तो संन्यास है। अचुनाव संन्यास है चुनाव संसार है। इसलिए संन्यास को चुनने का कोई उपाय नहीं है-संन्यास घटता है। मेरे पास इतने लोग आते हैं। मेरे पास भी दो तरह के संन्यासी हैं-एक जो घटाते, और एक, जिनको घटता है। जो घटाते हैं, वे कहते हैं, सोच रहे हैं; वे कहते हैं, सोच रहे हैं, बात तो कुछ जॅचती है, सोच-विचार कर रहे हैं। लेंगे, कभी न कभी लेंगे, मगर अभी नहीं। अभी, वे कहते हैं, और बहुत काम हैं; बात तो ऊँचती है। ___मैंने सुना है, मुल्ला नसरुद्दीन मस्जिद में बैठा था और धर्मगुरु ने प्रवचन दिया। और बीच प्रवचन में उसने बड़े नाटकीय ढंग से पूछा कि जो लोग स्वर्ग जाना चाहते हैं, उठ कर खड़े हो जाएं। सब लोग उठ कर खड़े हो गए, सिर्फ मुल्ला बैठा रहा। उस धर्मगुरु ने पूछा क्या तुमने सुना नहीं नसरुद्दीन? मैं कह रहा हूं जिनको स्वर्ग जाना हो, वे खड़े हो जाएं। नसरुद्दीन ने कहा : बिलकुल सुन लिया, लेकिन अभी मैं जा नहीं सकता। 'बात क्या है?' उसने कहा कि पत्नी ने कहा है कि मस्जिद से सीधे घर आना। मस्जिद से सीधे घर आना, इधर- उधर जाना ही मत! अब आप और एक लंबी.. स्वर्ग जिनको जाना है, जो जा सकते हों जाएं। जाऊंगा मैं भी कभी। तो पहला तो कारण कि पत्नी ने कहा कि मस्जिद से सीधे घर आना। और दूसरा कारण कि इस कंपनी के साथ स्वर्ग मैं नहीं जाना चाहता। इन्हीं की वजह से तो यह संसार भी नर्क हो गया है और अब स्वर्ग भी खराब करवाओगे? इनके बिना तो मैं नर्क भी जाना पसंद कर लूंगा। इनके साथ। मेरे पास लोग आते हैं, वे कहते हैं. सोच रहे, बात जंचती, लेकिन अभी मुश्किल है पत्नी से
SR No.032110
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages407
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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