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________________ जब होता, तब नग्न हो जाता। तो धीरे- धीरे छोड़ता जाता है। पहले दो लंगोटी रखता, फिर एक लंगोटी रखता, फिर छोड़ देता। मैं उनसे पूछा कि महावीर के जीवन में कहीं उल्लेख है कि उन्होंने नग्नता का अभ्यास किया हो? कहा, 'कोई उल्लेख नहीं। ' मैंने कहा, मुझे वह बताएं, जो उनकी नग्नता के संबंध में कहा है शास्त्रों में, आप शास्त्र के ज्ञाता! वे थोड़े हैरान हुए, क्योंकि शास्त्र में तो इतना ही कहा है कि महावीर जब घर से चले तो एक चांदर उन्होंने लपेट ली। सब बांट दिया। राह में जब वे जा रहे थे, तो सब तो बांट चुके थे; पूरा गांव, जो भी आए थे सब ले कर गए थे। आखिर में एक भिखमंगा मिला जो अभी भी घिसटता हुआ चला आ रहा था, और बोला, 'अरे, क्या सब बंट गया? और मैं तो अभी आ ही रहा था। ' तो महावीर ने कहा, यह तो बड़ा मुश्किल हुआ। उसको आधी चांदर फाड़ कर दे दी। अब और तो कुछ बचा भी नहीं था; अब आधी ही से काम चला लेंगे। जब वे इस आधी चांदर को ले कर जंगल में प्रवेश कर रहे थे, तो एक झाड़ी से, हो सकता है गुलाब की झाड़ी रही हो या कोई और झाड़ी रही हो - वह आधी चांदर उलझ गई। वह इस बुरी तरह उलझ गई कि अगर उसे निकालें, तो झाड़ी को चोट पहुंचेगी। तो महावीर कहा, तू भी ले ले, अब आधी को भी क्या रखना! वह आधी उस झाड़ी को दे दी। ऐसे वे नग्न हुए । अभ्यास तो इसमें, मैंने कहा, कहीं भी नहीं है। मैंने उनसे कहा कि तुम अभ्यास कर-करके नग्न अगर हो गए, तो तुम संन्यासी न बनोगे, सर्कसी बन जाओगे। पहले तुम ऐसा कमरे में नंगे घूमोगे, फिर धीरे - धीरे बगीचे में घूमने लगना, फिर धीरे- धीरे गांव में जाने लगना- ऐसे कर-करके हिम्मत बढ़ा लोगे - कि लोग हंसते हैं, हंसने दो, लोग कुछ कहते हैं, कहने दो, धीरे धीरे धीरे - धीरे । मगर धीरे- धीरे जो घटेगा वह तो झूठा हो गया। यह तो तुम चूक ही गए नग्नता की निर्दोषता चूक गए। अभ्यासजन्य तो सभी चालाकी से भर जाता है, निर्दोष तो सहज होता है। अगर तुम्हें नग्न होने का भाव आ गया है, चलो यह चांदर मुझे भेंट कर दो-मैंने कहा- खत्म करो इस बात को । वे कहने लगे, नहीं, अभी नहीं। मैं उनकी चांदर खींचने लगा तो बोले. अरे, यह मत करना ! मैंने कहा, मैं तो सहयोगी हो रहा हूं। यह अभी घटवाए देता हूं और गांव के लोगों को बुलाए लेता हूं। कब तक अभ्यास करोगे? यह पांच मिनट का काम है। मैं गांव से लोगों को बुला लेता हूं भीड़भाड़ इकट्ठी कर देता हूं, चांदर ले लूंगा सबके सामने खत्म करो! कब तक अभ्यास करोगे? उन्होंने कहा, नहीं-नहीं, अभी नहीं, किसी से कहना भी नहीं । अभी मेरी योग्यता नहीं है। नग्न होने में भी योग्यता की जरूरत है? सारा जंगल, पशु-पक्षी नग्न घूम रहे हैं; तुम कहते हो नग्नता में भी योग्यता की जरूरत है! आदमी भी हद चालाक है! इतने सरल में भी योग्यता की जरूरत है! वे अभी तक नग्न नहीं हुए। यह घटना घटे कोई पंद्रह साल हो गए। वे अभी तक भी चांदर —
SR No.032110
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages407
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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