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________________ लगे कि कौन आदमी है? क्योंकि वे कोई अलग-थलग दिखाई नहीं पड़ते, जीवन में रमे हैं। तो उसने लिखा है कि बामुश्किल से सूत्र मिलने शुरू हुए। बामुश्किल से । उसने किसी मसलमान को पछा कि मैं सफी फकीरों का पता लगाना चाहता हूं। दमिश्क की गलियों में भटकता था कि कहीं खोज ले। मगर कैसे पता चले? तो उसने कहा, तुम एक काम करो। तुम पता न लगा सकोगे। तुम तो जा कर मस्जिद में जितनी देर बैठ सको, नमाज पढ़ सको, पढ़ो। किसी सूफी की तुम पर नजर पड़ जाएगी तो वह तुम्हें पकड़ेगा। तुम तो नहीं पकड़ पाओगे। क्योंकि शिष्य कैसे गुरु को खोजेगा? गुरु ही शिष्य को खोज सकता है। यह बात जंची गुरजिएफ को। वह बैठ गया मस्जिद में, दिन भर बैठा रहता, आधी-आधी रात तक वहां बैठ कर नमाज पढ़ता रहता; किसी की तो नजर पड़ेगी-और नजर पड़ी। एक बुजुर्ग उसे गौर से देखने लगा, कुछ दिन के बाद। एक दिन वह बुजुर्ग उसके पास आया उसने कहा कि तुम मुसलमान तो नहीं मालूम होते, फिर इतनी नमाज क्यों कर रहे हो? उसने कहा कि मैं किसी सदगुरु की तलाश में हूं और मुझे कहा गया है कि मैं तो न खोज पाऊंगा। अगर मैं यहां नमाज पढ़ता रहूं तो शायद किसी की नजर मुझ पर पड़ जाए कोई बुजुर्गवार। आपकी अगर नजर मुझ पर पड़ गई और अगर आप पाते हों कि मैं इस योग्य हूं कि किसी सूफी के पास मुझे भेज दें, तो मुझे बता दें। उसने कहा कि तुम आज रात बारह बजे फलां-फलां जगह आ जाओ। वह जब वहां पहुंचा तो चकित हुआ। जिससे उसे मिलाया गया वह होटल चलाता था, चाय इत्यादि बेचता था, चायघर चलाता था। और उस चायघर में तो गुरजिएफ कई दफे चाय पी आया था। न केवल यही, उस चाय वाले से पूछ चुका था कई बार कि अगर कोई सूफी का पता हो तो मुझे पतादे दो। तो वह चाय वाला हंसता था कि भई धर्म में मुझे कोई रुचि नहीं, तो मुझे तो कुछ पता नहीं। वही आदमी गुरजिएफ के लिए गुरु सिद्ध हुआ। उसने गुरजिएफ से कहा कि बस अब तेरा वर्ष दो वर्ष तक तो यही काम है कि कप-प्याले साफ कर। कप-प्याले साफ करवाते-करवाते ध्यान की पहली सुध उस गुरु ने देनी शुरू की। एक अमरीकन यात्री ढाका पहुंचा। किसी ने खबर दी कि वहा एक सूफी फकीर है जो पहुंच गया है आखिरी अवस्था में; फना की अवस्था में पहुंच गया है जहां मिट जाता है आदमी। तुम उसे पा लो तो कुछ मिल जाए। तो वह ढाका पहुंचा। उसने जा कर एक टैक्सी की और उसने कहा कि मैं इस इस हुलिया के आदमी की तलाश में आया हूं, तुम मुझे कुछ सहायता करो। उसने कहा कि जरूर सहायता करेंगे बैठो। वह इसे ले कर गया, एक छोटे –से झोपड़े के सामने गाड़ी रोकी और उसने कहा कि पांच मिनट के बाद तुम भीतर आ जाना। वह जब पाच मिनट बाद भीतर गया तो वह जो टैक्सी-ड्राइवर था, वहां बैठा था और दस-पंद्रह शिष्य बैठे थे। उसने कहा कि आप ही गुरु हैं क्या? उसने कहा कि मैं ही हूं और इसलिए टैक्सी-ड्राइविंग का काम करता हूं कि कभी-कभी खोजी आ जाते हैं तो उनको सीधा
SR No.032110
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages407
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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