SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 188
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ रखना। समस्त प्राण स्टे चलूक महामरण - पारे ! स्वामी आनंद सागरेर प्रणाम ! आनंद सागर ने निवेदन किया है, प्रश्न तो नहीं है। लेकिन सार्थक पंक्तियां हैं। उन्हें स्मरण 'सकल देह लूटिए पडूक, तोमार ए संसारे!' - तेरे इस संसार में सब लुट गया! अब तो एक नमस्कार ही बचा है। 'एकटि नमस्कारे प्रभु, एकटि नमस्कारे! सकल देह लूटिए पडूक, तोमार ए संसारे घन श्रावण - मेघेर मतो' - और जैसे आषाढ में मेघ भर जाते हैं जल से । 'रसेर भारे नम्र नत' .. - और रस से भरे हुए झुक जाते पृथ्वी पर और बरस जाते हैं। 'एकटि नमस्कारे प्रभु, एकटि नमस्कारे!' - ऐसा मैं बरस जाऊं तुम्हारे चरणों में जैसे रस से भरे हुए मेघ बरस जाते हैं। 'समस्त मन पडिया थाक तब भवन द्वारे!' - और तेरे भवन के पर, बस इतनी ही प्रार्थना है। द्वार पर सारे मन को थका कर तोड़ डालूं मन से मुक्त हो जाऊं तेरे द्वार 'नाना सुरेर आकुल धारा मिलिए दिए आत्महारा एकटि नमस्कारे प्रभु एकटि नमस्कारे! समस्त गान समाप्त होक नीरव पारावारे!' - ऐसा हो कि मेरे सब गीत अब खो जाएं, केवल नीरव पारावर बचे! शून्य का गीत शुरू हो
SR No.032110
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages407
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy