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खूब पहचान लो असरार हूं मैं,
जिन्से-उल्फत का तलबगार हूं मैं। बस एक ही प्यास रखो—जिन्से-उल्फत—प्रेम नाम की वस्तु की। बस एक ही मांग रखोप्रेम नाम की वस्तु! -
जिन्से-उल्फत का तलबगार हूं मैं।
इश्क ही इश्क है दुनिया मेरी। और तुम्हारी सारी दुनिया, और तुम्हारा सारा अस्तित्व प्रेममय हो जाये, बस काफी है।
.. फितना-ए-अक्ल से बेजार हूं मैं। और बुद्धि के उपद्रव को छोड़ो, उतरो प्रेम की छाया में।
इश्क ही इश्क है दुनिया मेरी फितना-ए-अक्ल से बेजार हूं मैं ऐब जो हाफिज-ओ-खय्याम में था
हां, कुछ उसका भी गुनहगार हूं मैं ऐब जो, जो बुराई हाफिज और खय्याम में थी, उमरखय्याम में...।
उमरखय्याम को समझा नहीं गया। उमरखय्याम के साथ बड़ी ज्यादती हुई है। एक दिन बंबई में मैं निकल रहा था एक जगह से, होटल पर लिखा हआ था ः 'उमरखय्याम'। उमरखय्याम के साथ बड़ी ज्यादती हुई है। फिट्जराल्ड ने जब उमरखय्याम का अंग्रेजी में अनुवाद किया तो बड़ी भूल-चूक हो गई। फिट्जराल्ड समझ नहीं सका उमरखय्याम को। समझ भी नहीं सकता था, क्योंकि उमरखय्याम को समझने के लिए सूफियों की मस्ती चाहिए, सूफियों की समाधि चाहिए। उमरखय्याम एक सूफी संत है। थोड़े-से पहुंचे हुए महापुरुषों में एक, बुद्ध और अष्टावक्र और कृष्ण और जरथुस्त्र की कोटि का आदमी!
उसने जिस शराब की बात की है, वह परमात्मा की शराब है। उसने जिस हुस्न की चर्चा की है, वह परमात्मा का हुस्न है। लेकिन फिट्जराल्ड नहीं समझा। पश्चिमी बुद्धि का आदमी, उसने समझाः शराब यानी शराब। उसने अनुवाद कर दिया। फिट्जराल्ड का अनुवाद खूब प्रसिद्ध हुआ। अनुवाद बड़ा सुंदर है, काव्य बड़ा सुंदर है। फिट्जराल्ड निश्चित बड़ा कवि है। लेकिन वह समझ नहीं पाया। सूफियों की जो खूबी थी, वह खो गई कविता में से। और उमरखय्याम जाना गया फिट्जराल्ड के माध्यम से। ___ तो उमरखय्याम के संबंध में बड़ी भूल हो गई। उमरखय्याम ने शराब कभी पी ही नहीं, किसी मधुशाला में कभी गया नहीं; लेकिन उसने कोई एक शराब जरूर पी, जिसको पी लेने के बाद और सब शराबें फीकी पड़ जाती हैं। गया एक मधुशाला में, जिसको हम मंदिर कहें, जिसको हम प्रभु का मंदिर कहें।
ऐब जो हाफिज-ओ-खय्याम में था
हां, कुछ उसका भी गुनहगार हूं मैं। 'मजाज' खुद भी, जिनकी ये पंक्तियां हैं, उमरखय्याम को गलत समझा। वह भी यही समझा कि
हरि ॐ तत्सत्
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