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________________ उपाय से जैसे वह वन में हाथियों को बांध लेता है, वैसे ही उनको बांधकर यहाँ लाने का एक उपाय है। इस कार्य के लिए आपको मानो एक सच्चा हाथी हो, वैसा काष्ट का हाथी बनवाना होगा। उसमें ऐसा यंत्र प्रयोग कराओ कि जिससे वह गति एवं आसन आदि क्रियाएँ करे। उस काष्टगज के मध्य में शस्त्रधारी पुरुष रहे और उसे यंत्र से चलावे। उस हाथी के देखकर वत्सराज जब उसे पकड़ने के लिए आए, तब अंदर स्थित वे पुरुष उसे बांधकर यहाँ ले आवे। इस प्रकार होने से कब्जे में आया उदयन राजा आपकी दुहिता वासवदत्ता को गांधर्व विद्या सिखाएगा।" (गा. 184 से 196) राजा उसे शाबासी देता हुआ, उनके विचारों से संमत हुआ। तब मंत्री ने सच्चे हाथी से भी गुण में अधिक ऐसा काष्ठ का हाथी बनवाया। दंतघात कर (सूंड) का उत्क्षेप गर्जना एवं गति आदि से वनचरों को वह कृत्रिम हाथी रूप में ज्ञात नहीं हुआ। तब उन्होंने जाकर उस गजेन्द्र के समाचार उदयन राजा को दिये। तब उदयन राजा उसे बांधने हेतु वन में आया। परिवार को दूर रखकर स्वयं मानो शकुन शोधता हो, इस प्रकार धीरे धीरे वन में घुसा। वह मायावी हाथी के पास आकर किन्नर को पराभव करे, वैसे उच्च स्वर में गाने लगा। जैसे जैसे हाथी के अंदर स्थित पुरुष उस कृत्रिम हाथी के अंगों को स्तब्ध करने लगे। कौशांबीपति उदयन उस गजेन्द्र को गीत द्वारा मोहित जानकर अंधकार में चलता हो, वैसे मन्ध गति से उसके पास आया एवं यह 'हाथी मेरे गीत से स्तब्ध बन गया है' ऐसा सोचकर जैसे वृक्ष पर पक्षी छलांग मार कर चढ़ता है, वैसे वह राजा उस पर चढ़ गया। इतने में तो प्रद्योत राजा के सुभटों ने हाथी के उदर में से बाहर निकल कर वत्सराज (उदयन) को हाथी के स्कंध पर से नीचे गिरा कर बांध लिया। एकाकी, निःशस्त्र विश्वासी उदयन को जैसे सुअर को श्वान घेर लेता है, वैसे सुभटों ने उसे घेर लिया। इसलिए वह अपना कुछ भी पराक्रम न बता सका। (गा. 197 से 206) सुभटों ने उदयन को अवंती लाकर चंडप्रद्योत को सौंप दिया। तब राजा ने उसे कहा कि मेरी एकाक्षी पुत्री है, उसे तुम गंधर्वकला सिखाओ। मेरी दुहिता को अम्यास कराने के कारण मेरे घर पर सुख रूप से रह सकोगे, अन्यथा मेरे त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित (दशम पर्व) 255
SR No.032102
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charit Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurekhashreeji Sadhvi
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2014
Total Pages344
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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