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________________ सारथ्य करने में कुशल हुई, अंगसंवाहन के योग्य हुई, रसवती बनाने की कला में प्रवीण बनी, माया और इंद्रजाल आदि प्रकट करने में निपुण हुई, साथ ही विविध वाद्य संगीत को बताने में आचार्य जैसी हुई। संक्षेप में ऐसी कोई भी कला शेष न रही कि जिसे वह राज बाला न जानती हो। लावण्य जल की सरिता रूप और निर्दोष अंगवाली वह बाला अनुक्रम से पूर्वोक्त सर्व कला कौशल को सफल करने वाली यौवन वय को धारण करने वाली हुई। उसे देख उसके माता पिता वर की तलाश मे तत्पर हुए। जब कोई योग्य वर न मिला तब उन्होंने स्वंयवर का आयोजन किया। (गा. 29 से 32) एक बार वह मृगाक्षी बाला अपने महल में सूखपूर्वक बैठी थी। इतने में अकस्मात उसने एक राजहंस को वहाँ आया हुआ देखा। उसकी चोंच, चरण और लोचन अशोकवृक्ष के पल्लव की भांति रक्तवर्णीय थे। पांडुवर्ण के कारण नवीन समुद्रीझाग के पिंड से वह निर्मित जैसा दिखाई देता था। उसकी ग्रीवा पर स्वर्ण की धुधरमाला थी, शब्द मधुर था और उसकी रमणीक चाल से मानो वह नृत्य कर रहा हो ऐसा लगता था। उसको देख वह राजबाला विचारने लगी कि जरूर यह राजहंस किसी पुण्यवान पुरूष के विनोद का कारण है, क्योंकि स्वामी की का के बिना पक्षी को आभूषण कैसे पहनाये जा सकते हैं। चाहे जैसा हो, पर इसके साथ विनोद करने को मेरा मन उत्कंठित हुआ है। उसी समय वह हंस उसके गवाक्ष में आ गया, तब उस हंसगामिनी बाला ने लक्ष्मी के मांगल्य चामर जैसे उस हंस को पकड़ लिया। तब वह पदमाक्षी बाला सुखस्पर्श वाले अपने कर कमल से क्रीड़ाकमल की तरह उस मराल से खेलने लगी। शिरीष जैसे कोमल हाथ से बालक के केशपाथ की तरह उसके निर्मल पंख को बालों को मार्जित करने लगी। पश्चात कनकवती ने सखी को कहा कि हे सखि! एक काष्ठ का पिंजरा ला, जिसमें इस पक्षी का क्षेपन करूं, क्योंकि पक्षिगण एक स्थान पर स्थायी नहीं रहते हैं। कनकवती के कहने से उसकी सखी काष्ठ का पिंजरा लेने गई। तबवह राजहंस मनुष्य की वाणी से इस प्रकार बोला- हे राजपुत्री! तू चतुर है, फिर भी तू मुझे पिंजरे में क्यों डाल रही हैं ? मैं तुझे एक प्रिय के समाचार दूं। (गा. 33 से 41) त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित (अष्टम पर्व) 79
SR No.032100
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charit Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurekhashreeji Sadhvi
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2014
Total Pages318
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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