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________________ बलराम और कृष्ण अपनी अपनी स्त्रियों को लेकर द्वारका में आए। वहाँ कृष्ण ने गौरी के मंदिर के पास एक नवीन गृह में पद्मावती को रखा। (गा. 101 से 104) गांधार देश में पुष्कलावती नगरी में नग्नजित राजा का पुत्र चारूदत्त नाम का राजा था। उसके गांधारी नाम की सुंदर बहन थी । वह लावण्य संपति से खेचरियों को भी हरा देती थी । चारूदत्त के पिता नग्नजित की मृत्यु के पश्चात उसके भागीदारों ने चारूदत्त को जीत लिया, इसलिए उसने दूत भेजकर शरणागत कृष्ण की शरण ली । कृष्ण ने गांधार देश में आकर उनके भागीदारों को मार डाला, और चारूदत्त को राज्य पर स्थापित किया । चारूदत ने अपनी बहन गांधारी का कृष्ण के साथ विवाह किया । कृष्ण उसको द्वारिका ले आए और पद्मावती के मंदिर के पास एक प्रासाद उसे दिया । इस प्रकार कृष्ण की आठ रानियाँ हुई रूक्मणी पटरानी हुई पृथक पृथक महलों में रहने लगी। (गा. 105 से 109) एक बार रूक्मिणी के मंदिर में अतिमुक्त मुनि आए । उनको आया हुआ देखकर सत्यभामा भी जल्दी जल्दी वहाँ आ गई। रूक्मिणी ने मुनि को पूछा मेरे पुत्र होगा या नहीं ? मुनि ने कहा, तेरे कृष्ण जैसा ही पुत्र होगा। ऐसा कहकर मुनि के जाने के पश्चात मुनि के ये वचन मेरे लिए थे, ऐसा सत्यभामा मानने लगी। और उसने रूक्मिणी से कहा- मेरे कृष्ण जैसा पुत्र होगा । इस प्रकार परस्पर विवाद करती वे दोनों कृष्ण के पास पहुँच गई। उस समय सत्यभामा का भाई दुर्योधन वहाँ आ पहुंचा। उसको सत्यभामा ने कहा कि मेरा पुत्र तेरा जमाता होगा। रूक्मिणी ने भी इसी प्रकार उसको कहा । तब उसने कहा तुम में से जिसके भी पुत्र होगा, उसे मैं अपनी पुत्री दे दूँगा । सत्यभामा बोली- इस विषय में राम कृष्ण और यह दुर्योधन साक्षी है। इस प्रकार स्वीकार करवाकर वे दोनों अपने अपने स्थान पर गई। (गा. 110 से 117) एक वक्त रूक्मिणी ने स्वप्न में देखा कि जैसे स्वंय एक श्वेत वृषभ के उपर स्थित विमान में बैठी है। यह देखकर वह तुंरत जागृत हो गई। उस वक्त एक महर्द्धिक देव महाशुक्र देवलोक से च्यवकर रूक्मिणी के उदर में अवतरा । प्रातः उसने स्वप्न की बात कृष्ण को कही । तब कृष्ण ने कहा- हे महाभगे ! त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित (अष्टम पर्व ) 184
SR No.032100
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charit Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurekhashreeji Sadhvi
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2014
Total Pages318
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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