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________________ आप सब लोग अवलोकन करें। कृष्ण के इन पराक्रमी वचनों को सुनकर कंस भयभीत हो गया। इसलिए कंस ने तत्काल ही एक ही साथ युद्ध करने के लिए दूसरे मुष्टिक नाम के मल्ल को आज्ञा दी। मुष्टिक को उठा हुआ देखकर बलराम तुरंत ही मंच से नीचे उतरे और रणकर्म में चतुर ऐसे उन्होंने युद्ध करने के लिए उसे बुलाया। कृष्ण और चाणूर तथा राम और मुष्टिक नागपाश जैसी भुजाओं के द्वारा युद्ध में प्रवृत हुए। उनके चरणन्यास से पृथ्वी कंपायमान होने लगी और करास्फोट के शब्दों से ब्रह्माण्ड मंडप कंपायमान हो गया। राम और कृष्ण ने उस मुष्टिक और चाणूर को तिनके के पूले की तरह ऊँचा उछाला यह देख लोग खुश हो गये। चाणूर और मुष्टिक ने राम कृष्ण को सहज ऊँचा उछाला, यह देख सभी लोग ग्लानमुखी हो गये। उसी समय कृष्ण ने हाथी की तरह दंतमूसल से पर्वत पर ताडना करने के समान दृढ़ मुष्टि से चाणूर की छाती पर ताड़न किया। __ (गा. 287 से 293) तब जय के इच्छुक चाणूर ने कृष्ण के उरस्थल में वज्र जैसी मुष्टि से प्रहार किया। उस प्रहार से मधपान की भांति कृष्ण की आँखों के आगे अंधेरा आ गया और अति पीडित हो आँखे मींच कर वे पृथ्वी पर गिर पड़े। उस समय छल में चतुर कंस ने दृष्टि द्वारा चाणूर को प्रेरित किया, तो पापी चाणूर मूर्च्छित होकर पड़े कृष्ण को मारने के लिए दौड़ा। उसको मारने के इच्छुक जानकर बलदेव ने तत्क्षण वज्र जैसे हाथ के प्रकोष्ट पोंचे से उस पर प्रहार किया। उस प्रहार से चाणूर सात धनुष पीछे खिसक गया। इतने में कृष्ण भी आश्वस्त होकर खड़े हो गये एवं चाणूर को पुनः युद्ध का आह्वान करने लगे तब महापराक्रमी कृष्ण ने चाणूर को दो जानु के बीच में दबोचा भुजा के द्वारा उसका मस्तक झुकाकर ऐसा मुष्टि से प्रहार किया कि जिससे चाणूर रूधिर की धारा से वमन करने लगा। उसके लोचन अत्यंत विछल हो गये। इससे कृष्ण ने उसको छोड़ दिया। उसी क्षण कृष्ण से भयभीत हो उसके प्राणो ने भी उसको छोड़ दिया अर्थात उसकी मृत्यु हो गई। (गा. 294 से 300) इधर क्रोध से कंपित हो कंस बोला, अरे! इन दोनों अधम गोपबालकों को मार डालो। विलंब मत करो, और इन दोनों सर्पो का पोषण करने वाले नंद को भी मारो। उस दुर्मति नंद का सर्वस्व लूट कर यहाँ ले आओ। साथ ही नंद का पक्ष 168 त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित (अष्टम पर्व)
SR No.032100
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charit Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurekhashreeji Sadhvi
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2014
Total Pages318
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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