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________________ ७०३ श्रीशांतिपूजा विधि. इत्यादि स्तोत्रसे गुरु आत्मरक्षा करावै ॥ ( पीछे ) एक थालीमें १० । एक थालीमें ९। एक थालीमें ९। नागरवेलका पान सर्व २८ लगावे (जिसपर) फूल, अक्त नेवेद्य, फल, रोक नाणो, सब पानपर बराबरधरायके तैयार खखे॥और पिण, पंचामृत, फूल, फूलमाला, अक्तः नेवेद्य नानाजात का, लीला, सूका, फल, अत्तर, गुलाबजल, केशर, कपूर, रोली, मोली आ दिपूजापेको सर्व सरंजाम यथाशक्ति तैयार मंगायके रक्खे ( पीछे ) पूजा सरू करे ॥ ॥ प्रथम स्नात्रपूजाकी थापना रखके। कुशुमांजली लेके स्नात्रपूजा (तथा ) अष्टप्रकारी पूजा करावे ( पीने ) पंचपरमेष्टी पट्टा ऊपर चावलांका तीन ढिगला करके । ग्यान, दर्शन, चारित्र, की थापना करे (ऊपर) वासदेप करके, चढाये सूधा तीन पान चढावे । नसके आगे दो चावलका ढिगला करके, चैत्यदेवता देवदेवताकी, थापना करावे, पान दोय चढावे ॥ ऊपर कसंबल कपमो बांधे (पीछे ) दशदिग्पालके पट्टेकपर जलका गंटा देके वासकेप करे ॥ एकेक दिग्पालके टीकी देके फूल चढायके। एकेक चढापे सूधो नागर वेलको पान चढावे ॥ॐ॥ ॥ ॥ अथ दश दिग्पाल पूजा लि०॥॥ ॥ इंद्राय । सायुधाय । सवाहनाय । सपरिकराय । इह अस्मिन्जंबुनी पे। दक्षिण भरतार्षदेत्रे । अमुकनगरे । अमुकजिनचैत्ये । शांतिपूजा म होडवे । आगढ २ । बलिं गृहाण २ । नदयमभ्युदयं कुरु २ स्वाहा ॥ ॥ इंद्रायनमः इतिइंद्राह्वान पूजा ॥ * ॥ पूर्वदिशे जलचंदनादि अष्ट द्रव्य चढावे ॥ ॥१॥ ॥ ॥ ॥ ॥ अथ अग्नि दिग्पाल पूजा लि० ॥ ॥ अग्नये । सायुधाय । सवाहनाय । सपरिकराय । अस्मिन् जंबु प्रीपे । दक्षिण जरताईहत्रे । अमुक नगरे। अमुक चैत्ये । शांति पूजा महो लवे । आगह २ बलिगृहाण २।नदय मभ्युदयंकुरु २ स्वाहाः॥ ॐ अग्नयेनमः ॥ २ ॥ ॥ ॥ॐ॥अथ यमदिग्पाल पूजा लिख्यते॥8॥ ॥ ॥ यमाय । सायुः । सवा० । सपरि० । अस्मिन् जंबु० । दक्ति।
SR No.032083
Book TitleRatnasagar Mohan Gun Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktikamal Gani
PublisherJain Lakshmi Mohan Shala
Publication Year1903
Total Pages846
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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