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________________ ४७८ रत्नसागर. जथीरे । वली दशा ते श्री जिनराजथीरे ॥धन ॥२॥ मुख जोतां ते मुख सरवे गयुंरे । वालानुं ध्यान सदा चित्तमां रां रे॥धन ॥३॥आपी सेवा ते शुध मनथीखरीरे । सूर शशी ऊपरें करुणा करीरे ॥धन ॥४॥ ॥ॐ॥ पुनः॥ ॥ ॥ ॥ मारे आज आनंद वधामणां रे । हुं तो लेनेरे वाहलाजीना जा मणारे ॥मा० ॥ टेक ॥ मुनें दास पोतानो जाणीयोरे। आथमतां ठेकाणे आणियोरे॥ मारे० ॥१॥ प्राप्यु दरशन जे दुर्लन देवनेंरे । मुने कीg तु रहेजे मारी सेवमें रे ॥ मारे० ॥२॥ एवो दीधो जरोसो साचा गुरूरे । प्र नु विना जगत् मिथ्या सहूरे ॥ मारे० ॥ ३ ॥ लहेर करीने महारा मन रम्यारे । सूर शशीने जिनराजजी गम्यारे ॥ मारे० ॥ ४॥ ॥ ॥ पुनः॥ ॥ ॥ ॥ सवा लाख टकानी जाये एक घडी ॥ स० ॥ ए संसार जैमा सांनेलां। घडपणा या घोडे चमी ॥ मांगी तुंगीने बत्र धरायो । केनो कंदोरो केनी कडी ॥ सवा० ॥ १ ॥ साधो नाई जिनने संनारो । जन्म दशा जेम आवी चमी । कहे लोंबो नजतुं जगवंतनें। मोरुजवानी ए वात खरी ॥ सवा०॥२॥ इति ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ .. ॥ ॥ अथ लावण्या संग्रह ॥ १ ॥ ___॥ अगडकुंअगमधु बाजे चौघडा । सवाइका साहेबका । बननं उ ननं अवाज होता। महेल बनाया गगनोंका ॥ कल्याण पारशनाथ नाम का। नित नित बाजै चौधमा। तीन लोकमें सच्चा साहेब । पार्श्वनाथ अव तार बमा ॥१॥ बणारशी नगरीमें तेरा जनमहे । माता वामाके नंदा॥ अश्वसेनके कुलमें शोने । जैसा सरदपूनम चंदा ॥ स्वर्गलोकमें हुवा आ नंदा। इंद्राणी मंगल गावे ॥ तेत्रीश कोम देवता मिनकर । नबव करनेवू आवे ॥२॥ कोइ आवतां कोइ गावतां । कोइ नाम लेता देवा ॥ चोस 6 इंदर अरज करंता । चंद्र सूरज करता सेवा ॥ केई सुरनर साहेबके आगे । अरज करंता खमा खमा ॥ जिनके सरूपको पारन पावे । जिन का गुण हे सबसे बमा ॥३॥ दूर देशसें आया जोगी । बमे जोर तपश्या
SR No.032083
Book TitleRatnasagar Mohan Gun Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktikamal Gani
PublisherJain Lakshmi Mohan Shala
Publication Year1903
Total Pages846
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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