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________________ जैती संयुक्त नवपद नवीकरणंबिधि. ३३७ तप पढ़का नज्वल वर्ण है (इसी सें) तंडुलका बिल करे । पच्चास जेद तप प दके चिंतवके नमस्कार करे ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ अथ तप पदके (५०) नेद लि० ॥ ॥ १ ॥ यावत् कथक तपसे नमः ॥ २ ॥ इत्वर तप नेद तपसे नमः ॥ ३ ॥ बाह्य णोदरी तपनेद तपसे नमः ॥ ४ ॥ अभ्यंतर कणोदरी तपनेद तपसे नमः ॥ ५ ॥ द्रव्यतप वित्ती संखेप तपभेद तपसे नमः ॥ ६ ॥ क्षेत्रतप बित्ती संखेप तपनेद तपसे नमः ॥ ७ ॥ कालतप वित्ती संखेप तपनेद तपसे नमः ॥ ८ ॥ नाव तप वित्ती संखेप तपनेद तपसे नमः ॥ ९ ॥ काय किलेस तपनेद तपसे नमः ॥ १० ॥ रस त्याग तपसे नमः ॥ ११ ॥ इंद्री कषाय जोग विषयक संजीणता तपसे नमः ॥ १२ ॥ स्त्री पशु पंककादि वर्जितस्थान अवस्थित संजीप ता० ॥ १३ || आलोयण प्रायवित्त तपसे नमः ॥ १४ ॥ परिक्रमण प्रायवित्त तपसे नमः ॥ १५ ॥ मिश्र प्रायवित्त तपसे नमः ॥ १६ ॥ विवेक प्रायवित्त तपसे नमः ॥ १७ ॥ नृपसर्ग प्रायवित्त तपसे नमः ॥ १८ ॥ तप प्रायवित्त तपसे नमः ॥ १९ ॥ द प्रायवित्त तपसे नमः ॥ २० ॥ मूल प्रायवित्त तपसे नमः ॥ २१ ॥ प्रणवस्थित प्रायवित्त तपसे नमः ॥ २२ ॥ पारंचिय प्रायवित्त तपसे नमः ॥ २३ ॥ त्याग विनय रूप तपसे नमः ॥ २४ ॥ दर्शन विनय रूप तपसे नमः ॥ २३
SR No.032083
Book TitleRatnasagar Mohan Gun Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktikamal Gani
PublisherJain Lakshmi Mohan Shala
Publication Year1903
Total Pages846
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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