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सिशायमाला.
२८९ गावतां । कर्मनी तूटै कोमि । गणि समय सुंदर तेहना । पाय बांदै रेबे करजोमि ॥श्रे०॥९॥ इति अनाथी मुनी सिज्जाय समाप्तम् ॥ॐ॥
॥ ॥ अथ प्रतिक्रमण सिशाय लि०॥ ॥ ॥ ॥ करि पमिक्कमणो नावसुं । दोयघमी सुन्न काण ॥ लालरे ॥ परनवजातां जीवनें। संबल साचो जाण ॥ लालरे ॥१॥ ( करि पमिक्कम णो नाव सुं०)॥श्रीमुख बीरसमुच्चरे । श्रेणिकराय प्रतिबोध ॥ ला० ॥ लाखखंगी सोना तणी। दीयै दिन प्रतिदान ॥ ला॥२ (करि०)॥ लाख बरस लग तेहने । इम दीय द्रव्य अपार ॥ ला० ॥ इक सामायकनी तु ला। नावै तेह लगार ॥ला० ॥ ३ ( करि० ) सामायक परसादथी। लहीये अमरबिमान ॥ ला॥धरमसीह मुनिवर कहै। मुगति तणो ए नि दान॥ ला॥ ४ (करि)॥ ६ ॥ इति प्रतिक्रमण सिज्ञाय संपूर्णम्॥ ॥
॥॥अथ सप्तव्यसन सिज्ञाय लि० ॥ * ॥ ॥ॐ॥ सात बिसननारे संग मतां करो। मुण तेहनों सुबिचार ॥ बिवे की॥ सात नरक नारे नाई सातेई । आपै उक्ख अपार ॥ बिबेकी । १ सा॥ प्रथम जुवानेंरे बिसनपड्यां थकां। पांमव पांच प्रसिघ ॥ विवेकी ॥ नलराजा पिण इण बिसनें पड्यो । खोइ सहू राज रिच ॥ बि० २ सा०॥ दूसरे मांस प्रवण अवगुण घणां । कर परजीव संहार ॥ बि० ॥ महा स तकनी नारी खेती। नरक गई निरधार ॥ बि०३ सा० ॥ तीजै मदरा पा न बिसनतजी। चितधरी बली चाह ॥ बि० ॥ दीपायणरिष हव्यो जाद वें। प्रारकानो थयो दाह ॥ बि० ४ सा०॥ चोथै बिसनें वेश्याघर बसै। लोकमें न रहै लाज ॥ बि० ॥ कयवन्नादिकनो गयो कायदो । कुबिसनें रे काज ॥ बि० ५ सा० ॥ पाप आहे कुविसन साचवै । प्राणी हणीयें प्रहार ॥ बि० ॥ मारी मृगली श्रेणिक नृप गयो । पहिली नरक मझार ॥ बि० ॥ ६ सा०॥ चोरीने बिसने करी । जीव लहै उक्खजोर ॥ बि० ॥ मुंज देवराजाय मारीयो। चावो हुंमक चोर ॥ बि०७ सा० ॥ परस्त्रीय सं गत कुबिसनसातमें। हाणि कुजस बहु होय ॥ बि० ॥ राणो रावण शीता अपहरी। नास लंकानोरे जोय ॥ बि० ८ सा०॥इम जाणी प्रव्य तुमे आ
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