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________________ आनंदघनजी कृत स्तवन सूखमली लेशुं नीशाली आने काज ॥ हा०॥१४॥ नंदन नवला मोहो टा थाशोने परणावशुं। वहूवर सरखी जोमी लावशुं राजकुमार । सरखा वेवाइ वेवाणुंने पधरावशुं । वर वहू पोखी लेशुं जोर जोइने दीदार ॥ हा०॥ ॥ १५ ॥ पीअर सासर मारा बेहु पद नंदन ऊजला । माहरी कूखें आव्या तात पनोता नंद । माहरे प्रांगण वूठा अमृत दूधै मेहुला । मा हरे आंगण फलिा सुरतरु सुखना कंद ॥ हा० ॥ १६ ॥ इणि परें गा युं माता त्रिशला सुतनुं पालएं । जे कोइगाशे लेशे पुत्र तणा साम्राज। बलीमोरा नगरें वरणव्युं बीरनुं हालाँ। जय जय मंगल होजो दीपविजय कविराज ॥ हा०॥ १७॥ इति०॥ॐ॥ ॥ॐ॥ ॥ॐ॥ ॥ॐ॥ ॥ * ॥अथ निंदावारक सशाय॥ * ॥ ॥ निंदा मकरजो कोश्नी पारकीरे। निंदानां बोल्या महा पापरे वयर विरोध वाधे घणोरे । निंदा करतां न गणे माय बापरे ॥ निं० ॥१॥ दूर बलंती कां देखो तुझेरे। पगमा बलती देखो सहु कोयरे । परना मैला में धोयां लूगडांरे। कहो केम ऊजला होयरे ॥ निं० ॥ २ ॥ आप सं जालो सहुको आपणोरे । निंदानी मूको परी टेवरे । थोमे घणे अवगुणे सहु नरयारे । केहनां नलिया चुए कहेनां नेवरे ॥ निं०॥३॥ निंदा करे ते थाये नारकी रै। तप जप कीg सहु जायरे । निंदा करो तो करजो आ पणी रे। जेम छूटकवारो थायरे ॥ निं० ॥ ४ ॥ गुण ग्रहजो सहुको तणोरे । जेहमां देखो एक विचाररे । कृष्णपरें सुख पामशोरे । समयसुं दर सुखकाररे॥ निं०॥५॥ॐ॥ ॥इति ॥ ॥8॥ ॥ॐ॥ ॥*॥अथ श्रीआनंदधनजी कृत स्तवन सं०॥*॥.. ॥*॥ करम परीक्षाकरण कुमरचल्योरे॥ए देशी॥8॥ ॥ॐ॥षनजिनेश्वर प्रीतम माहरोरे । मन चाहुरे कंत । रीज्यो साहेब संग न परिहरेरे । नांगे सादि अनंत ॥ षन ॥ १ ॥ प्रीत स गाईरे जगमां सहु करे रे। प्रीत सगाई न कोय। प्रीति सगाईरे निरुपाधि क कहीरे । सोपाधिक धन खोय ॥ ऋषन० ॥ २ ॥ कोई कंत कारण काष्ट नकण करैरे । मिलसुं कंतने धाय ए मेलो नवि कहीये संवेरे । २२.
SR No.032083
Book TitleRatnasagar Mohan Gun Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktikamal Gani
PublisherJain Lakshmi Mohan Shala
Publication Year1903
Total Pages846
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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