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________________ 10000 10000 उपकार. श्रीजगत् श्रेष्ठिगुरुपूज्यपादशास्त्रविशारद श्रीहर्षचंद्र - सूरीश्वरचरणोपाशकविनेयपंडितप्रवरमहर्षि श्रीमुक्तिचंद्रगणिसुशिष्यपरमपूज्य प्रातःस्मरणीय परमगुणान्वित स्वच्छ मति गति रति (भाग्य) यशवंत गच्छपति श्रीमान् भट्टारक श्री भ्रातृचंद्रसूरीश्वरजी महाराजना सुविनयी सुशिष्य साक्षर परमोपकारी चारित्र पात्र चूडामणी शांतदांतादि मुनिगुणगणयुक्त पू० मुनिराज श्री सागरचंद्रजी महाराज जेओ साहेब आ परम लाभकारी पुस्तकने प्रसिद्धिमा लाववा हितार्थ अलग अलग स्थळेथी परमोपयोगी रासाओनो संग्रह एकत्र करी लखावी सुधारी आपवामां अवर्णनीय काळजीपूर्वक ध्यान आपी पोताना पठन पाठन क्रियानुष्ठानादि करवाना महान् कीमती समयनो भोग आप्यो छे अने भव्यजीवोना आत्मकल्याणनो मार्ग खुल्लो करवा खंत राखी छे, ते माटे शुद्धांत:करण पुरःसर तेओश्रीनो उपकार मानी अत्यानंद पासुं छु ! ली. प्रकाशक. - IEEEEEEEEEEET -------------
SR No.032080
Book TitleJain Ras Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarchandra Maharaj
PublisherGokaldas Mangaldas Shah
Publication Year1930
Total Pages252
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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