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धर्म योग्य किया अनुष्ठानना सूत्रोनो अभ्यास कराव्यो अनुक्रमे विद्वान् थया, अने घणा ग्रन्थो तेमणे लख्या, पछीथी शिद्धामा फरक पडयो तेथी सुधर्मागच्छनी स्थापना करी, 'सूरीश्वर गुरुराजे तेमने बहु समजाया पण स्व आग्रह तेमणे छोडयो नहीं. जीवने मोहराजा अनेक फंदोमां फसाववा सदा सावचेत रह्या करे छे, तेना सकंजामांथी बचq सहेलु नथी, अप्रमादी सुगुरु वचनानुयायी श्री जिन प्रवचनानुरागी आत्मार्थी विरल कोइ सदा सावधानतावालो स्वश्रेय साधी शके छे. आ चरित्रना कर्ता वैरागी निरंतर उद्योगी मूरवीरता पूर्वक जीवन जीवनारा हता. पोताना गुरुराज पासे सर्व सिद्धांतोनो अभ्यास को इतो, तेथी प्रखर विद्वानोनी, पंक्तिना विद्वान् हता. सिद्धांतोनी टीकाओ जेवा महान्कार्यमां पण तेमणे प्रयत्न करेल छे. श्रेष्ठ कविता शक्तिने धारण करनार हता, ऐतीहासिक ज्ञानमां विशारद हता. केटलाकोए एमने श्रीविजयदेवमूरिजीना शिष्य मान्यां छे अने विद्यागुरु तरिके श्रीपार्धचंद्रसूरीश्वरजी हता, एम जणावे छे. पण पोते तो पोताना गुरू तरीके श्रीपाश्र्धचंद्रसूरीश्वरजी छे एमज ग्रन्थोमां लखे छे.
३-मोहचरित्र गर्भित अढार नात्रा चोपाई. पृष्ट ७९थी९५ शुधीमां छे. तेना कर्ता-श्रीमन्नागपुरीयवृहत्तपागच्छाधिराज श्रीपार्श्वचंद्रमूरिपरंपरानुगत श्रीराजचंद्रसरि शिष्य उपाध्याय श्रीहीरानंदचंद्रगणिनाप्रशिष्य महामहोपाध्याय श्रीधर्मसिंहगणिना शिष्य वाचकवर श्रीकर्मचन्द्रगुणी छे. आ चोपाई-रासनी