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________________ १०० राणीलणे, आठ पुत्र अभिराम । जनम्या नाळे सामटे, दीपे रूपे काम ॥४४॥ एक एकथी सुंदरु, कळा बहुत्तर जाण । रायराणी मन उल्लसे, देखि गुणमणि खाण ॥४५॥ (ढाल-त्रीजी-क्षेत्रपाळना गीतनी) हिवराणी हिवराणी मनमांही चिंतवे, पुत्रीविण सूत्रीविण, प्रमदा न शोभहे। गुणवंता (२) बेटा जनमिया,एक पुत्री (२) नो मुजलोभ हे ॥हिव०॥४६॥ जिणघरमां(२) पुत्री नवी होवे,ते घर किम (२) होवे पाकहे । कन्या दान (२) कहिये परगडो, कवडिने (२) जे वलि लाख हे।। हिव०॥४७॥ बाळापण (२) लाडकोड पूरती, पितुमाता (२) भाइ गावे गीतहे। दुलडीआं (२) रमती रंगशु, सहि पामे (२) धरती प्रीतहे ।। हिव०॥४८॥ सिणगारी (२) गौरी सोहामणि, पूगेमन (२) केरी खंत हे। मन मान्यु (२) थाजो माहरे, गोरो गुण (२) वंतो कंतहे । ॥ हिव० ॥४९॥ इण अवसर (२) मावित्र चिंतवे, जोइजइ (२) जसाइ.चंग हे। परणाई (२) पूरा प्रेमशुं, इमकीजे (२) बहुरंग जंग हे ॥ हिव०॥५०॥ मुकलावो(२) दीजे दिल खुसी, आघरणी (२) कीजे शुभाव हे। मोशाळे (२) मनरंजे घj, पीहरनो (२) कह्यो प्रस्ताव हे ॥ हिव०॥५१॥ बांधवने (२) बांधे राखडी, भाइबीजे (२) करे सुजगीसहे । जीमाडी (२) वीरा आपणा, वळि आपे (२) बहु आशीषहे ॥ हिव०॥५२॥ एक बेटी (२) विण एहवा सही, मनोरथ (२) रहे मनमांहि हे। विलवाणी (२) आमण दमणी, अंगमांहि (२) नहि उमाह
SR No.032080
Book TitleJain Ras Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarchandra Maharaj
PublisherGokaldas Mangaldas Shah
Publication Year1930
Total Pages252
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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