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________________ संस्कृत साहित्य का इतिहास इसमें अन्य रसों का समुचित परिपाक नहीं हुआ है । लेखक सङ्गीत और ज्योतिष की सूक्ष्मताओं से सम्यक्तया परिचित था। । भट्टनारायण ने वेणीसंहार नाटक लिखा है । इसमें ६ अङ्क हैं। इसमें महाभारत को घटनाओं का वर्णन है और अन्त में भीम के द्वारा द्रौपदी की वेणी के बाँधने का वर्णन है । भट्टनारायण को बङ्गाल के राजा आदिशूर ने दुर्भिक्ष के कुप्रभाव को दूर करने के लिए एक यज्ञ करने को बुलाया था । यह राजा ६५० ई० के लगभग हुआ था । सर्वप्रथम इसके नाटक से उद्धरण साहित्यशास्त्री वामन ( ८०० ई०) ने दिया है । अतः इसका समय सातवीं शताब्दी ई० का उत्तरार्द्ध मानना चाहिए । भट्टनारायण ने महाभारत की कथा में एक नवीनता प्रस्तुत की है कि द्यूतक्रीड़ा के समय द्रौपदी ने अपना अपमान होने पर अपने केश खोल दिए और प्रतिज्ञा की कि दुर्योधन के प्राणान्त होने पर ही वह इस वेणी को बाँधेगी । दुर्योधन के प्राणान्त होने पर भीम ने उसकी वेणी बाँधी । अतः इस नाटक का नाम वेणीसंहार पड़ा । इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए नाटककार ने मूल कथा में कई परिवर्तन किए हैं। इसमें भीम की प्रशंसा की गई है, क्योंकि वही द्रौपदी की वेणी बाँधता है । दुर्योधन की न्यूनताएँ विशेष रूप से दिखाई गई हैं। इसके लिए नाटककार ने दुर्योधन की पत्नी भानुमती को उपस्थित किया है और सम्पूर्ण द्वितीय ग्र के द्वारा यह सिद्ध किया गया है कि दुर्योधन बहुत ही कामी व्यक्ति था। कर्ण को भी घटिया ढंग से प्रस्तुत करके अश्वत्थामा को उत्कृष्ट सिद्ध किया गया है । इस नाटक की मुख्य विशेषता है पात्रों का स्वतन्त्र-व्यक्ति छ । किन्तु लेखक ने कहीं पर भी यह संकेत नहीं किया है कि इस नाटक का नायक कौन है । इसमें वीर रस मुख्य है । यह गौड़ी रीति में लिखा गया है। इसकी भाषा बहुत प्रभावशाली और प्रोजपूर्ण है। इस नाटक में कई दृश्य बहुत सुन्दर हैं, परन्तु वे असम्बद्ध हैं । इस नाटक में कथा-संघटन में एकता का अभाव है। शक्तिभद्र ने सात अङ्कों में आश्चर्यचड़ामणि नामक नाटक लिखा है। वह शङ्कराचार्य (६३२-६६४ ई०) का शिष्य कहा जाता है । इस नाटक में
SR No.032058
Book TitleSanskrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV Vardacharya
PublisherRamnarayanlal Beniprasad
Publication Year1962
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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