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________________ २२८ संस्कृत साहित्य का इतिहास उसने 'कुन्तलेश्वरदौत्य' नामक ग्रन्थ की रचना की थी । ज्ञात नहीं कि यह किस प्रकार की रचना है क्यों कि आज यह ग्रन्थ उपलब्ध नहीं है । जिस क्रम में ये नाम ऊपर दिये गये हैं, इसी क्रम से उसने ये नाटक लिखे हैं ! मालविकाग्निमित्र से यह ज्ञात होता है कि वह भास यादि नाटककारों की समता प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील था । विक्रमोर्वशीय से ज्ञात होता है कि वह नाटककार के रूप में प्रसिद्ध हो चला था और उसने यह नाटक आलोचकों की समीक्षा के लिए प्रस्तुत किया था शाकुन्तल से ज्ञात होता है कि वह प्रसिद्ध नाटककार हो गया था और आलोचकों के द्वारा अपने नाटक के स्वीकृत होने की प्रतीक्षा में था । मालविकाग्निमित्र में पाँच अंक हैं । इसके पात्र ऐतिहासिक व्यक्ति हैं । मालवा के राजकुमार माधवसेन की बहिन मालविका का विवाह विदिशा के राजा अग्निमित्र के साथ होना था । माधवसेन अपनी बहिन के साथ विदिशा को चला। मार्ग में उसके चचेरे भाई यज्ञसेन ने उस पर आक्रमण कर दिया । वह माधवसेन से पहले से क्रुद्ध था । यज्ञसेन ने उसको बन्दी बना लिया । माधवसेन के साथी अपने मार्ग पर चलते रहे । आगे चलकर उन पर डाकुओं ने आक्रमण किया और मालविका मार्ग भूल गयी । वह विदिशा के सैनिकों की सुरक्षा में पहुँची और वहाँ से वह अग्निमित्र की रानी धारिणी के अन्तःपुर में पहुँची । एक कलाकार के द्वारा चित्रित मालविका का चित्र देखकर राजा अग्निमित्र उस पर आसक्त हो गया । अपने साथी विदूषक की सहायता से उसने मालविका से मिलने का प्रबन्ध कर लिया । धारिणी यह प्रयत्न करती थी कि मालविका राजा के सामने न आने पावे | अग्निमित्र की एक छोटी रानी इरावती ने सहसा वहाँ पहुँचकर अग्निमित्र और मालविका के प्रेमालाप को भंग कर दिया । इरावती के विघ्न के कारण दोनों प्रेमियों को बहुत बुरा लगा ! कुछ समय बाद माधवसेन के साथी, जो मार्ग भूल गये थे, अग्निमित्र के द्वार पर पहुँचे । उन्होंने मालविका का परिचय दिया और उस परिचय के आधार पर राजा मालविका के साथ विवाह कर सका । रानी धारिणी
SR No.032058
Book TitleSanskrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV Vardacharya
PublisherRamnarayanlal Beniprasad
Publication Year1962
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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