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________________ १२ संस्कृत साहित्य का इतिहास ___ सौभाग्य से कुछ चीजें प्राप्त हैं, जिनकी सहायता से भारतीय साहित्य को समझ सकते हैं । ४८५ ई० पू० में गौतम बुद्ध का स्वर्गवास हुआ । सिकन्दर ने ३२६ ई० पू० में भारतवर्ष पर आक्रमण किया। मौर्य राजा चन्द्रगुप्त ने ३२०-२६८ ई० पू० तक राज्य किया। यह समय विशेष महत्त्व का है, क्योंकि यूनानी दूत मेगस्थनीज चन्द्रगुप्त के समय में था और उसने चन्द्रगुप्त के राज्य का विवरण अपने भारत-यात्रा के वृत्तान्त में दिया है। अशोक ने २६६-२३२ ई० पू० तक राज्य किया। उसके शिलालेख भाषा-विज्ञान की दृष्टि से तथा धार्मिक और राजनैतिक दृष्टिकोण से विशेष महत्वपूर्ण हैं। चीनी यात्री फाह्यान, ह्वेनसांग और इत्सिग ने भारतयात्रा क्रमशः ३६६४१४, ६२६-६४५ तथा ६७२-६७५ ई० में की। इन्होंने अपने भारतयात्रा के महत्त्वपूर्ण वृत्तांत लिखे हैं । अल्बेरुनी १०३० ई० के लगभग भारत में आया था। उसका भ्रमणवृत्तान्त भी विशेष महत्व का है। इसके अतिरिक्त सिक्के, शिलालेख, स्तंभ लेख और ताम्रपत्र वाले दान, ऐतिहासिक घटनाओं पर प्रकाश डालने में पर्याप्त सहायता करते हैं। रचनाओं की शैली भी उसके समय-निर्धारण में सहायक होती है। सुभाषित-संग्रह तथा साहित्यशास्त्रीय ग्रन्थों से भारतीय साहित्य के समयक्रम के निर्धारण के लिए उपयोगी सामग्री प्राप्त होती है। संस्कृत भाषा और साहित्य का ऐतिहासिक अध्ययन १६ वीं शताब्दी से प्रारम्भ होता है, जबकि यूरोपीय यात्री और मिश्नरी यूरोप से भारत में आए । यूरोप में संस्कृत के सर्व-प्रथम पहुँचने तथा यूरोपीय भाषाओं ग्रीक, लेटिन आदि के साथ इसकी विशेष समता को देखकर यूरोपीय विद्वानों की संस्कृत भाषा के अध्ययन में विशेष अभिरुचि हुई । तुलनात्मक भाषाविज्ञान का जन्म जर्मन विद्वान् श्लेगल के प्रयत्नों के परिणाम-स्वरूप हुआ। उसने १८०८ ई० में भाषा तथा भारतीयों की बुद्धिमत्ता पर एक ग्रन्थ लिखा । इन विद्वानों ने वेदों और वैज्ञानिक ग्रन्थों के अध्ययन में विशेष अभिरुचि दिखाई। अंग्रेजी विद्वानों में सर विलियम जोन्स और एच० टी० कोलक, जर्मन
SR No.032058
Book TitleSanskrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV Vardacharya
PublisherRamnarayanlal Beniprasad
Publication Year1962
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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