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________________ अध्याय २२ संस्कृत नाटक (कालिदास के पूर्ववर्ती और कालिदास के समकालीन) कालिदास ने अपने नाटकों में जो पूर्णता प्राप्त की है, उससे ज्ञात होता है कि कालिदास से पहले पर्याप्त संख्या में संस्कृत-नाटक विद्यमान थे और कालिदास ने उनको आधार मानकर अपने नाटक लिखे हैं। कालिदास से पहले जो नाटक लिखे गये थे, उनमें से भास और शूद्रक के नाटक शेष बचे हैं, शेष सभी नाटक कालिदास के नाटकों के असाधारण उत्कर्ष के कारण नष्ट हो गये हैं। सौमिल्ल और कविपुत्र के अतिरिक्त अन्य नाटककारों का नाम भी पूर्णतया विस्मृत हो गया है । भास कालिदास से पूर्ववर्ती नाटककार है । कालिदास ने मालविकाग्निमित्र की प्रस्तावना में उसका बहुत आदर के साथ नाटककार के रूप में नामोल्लेख किया है। भास के नाटकों का पता १६११ ई० तक नहीं था। इस वर्ष पं० गणपति शास्त्री ने मालाबार से कुछ नाटकीय ग्रन्थ प्राप्त किये और निम्नलिखित कतिपय कारणों से उनका लेखक भास को माना । (१) सभी १३ नाटकों में कुछ विशेषताएँ समान हैं-(क) इनमें सूत्रधार नान्दी का पाठ करता है । नान्दी-पाठ वाले श्लोकों में अप्रकट रूप में नाटक के पात्रों के नाम हैं। इस प्रकार इसमें मुद्रालङ्कार होता है । देखिए-- उदयनवेन्दुसवर्णा वासवदत्तावलौ बलस्य त्वाम् । पद्मावतीर्णपूर्णी वसन्तकम्रौ भुजौ पाताम् ।। स्वप्नवासवदत्तम् -- नान्दी यहाँ उदयन, वासवदत्ता, पद्मावती और वसन्तक आदि पात्रों का उल्लेख किया गया है । (ख) प्रस्तावना के लिए 'स्थापना' शब्द का प्रयोग किया
SR No.032058
Book TitleSanskrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV Vardacharya
PublisherRamnarayanlal Beniprasad
Publication Year1962
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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