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________________ प्रथम ढाल हैं, क्योंकि नारकियोंके पृथग्विक्रिया नहीं होती, अपृथग्विक्रिया ही होती है ॥३॥ ___ यही बात सेमर वृक्ष आदिके विषयमें जानना चाहिए, अर्थात् नारकी जीवही विक्रियाके द्वारा वृक्षादिका रूप धारण कर लेते हैं । मूसल, मुन्दर, चक्र, तलवार आदिके विषयमें भी यही बात जानना चाहिए। शंका-किस प्रकार के पापकर्म करनेवाले जीव नरकमें जाकर उत्पन्न होते हैं ? ... समाधान-मद्यपान करनेवाले, मांस-भक्षी, दीन पशु- . पक्षियोंके घातक, और शिकार खेलनेवाले जीव नरकोंमें जाकर उत्पन्न होते हैं और वहां अनन्त दुःखको पाते हैं । जो जीव लोभ क्रोध, भय, अथवा मोहके बलसे असत्य वचन बोलते हैं, वे निरन्तर भयको उत्पन्न करनेवाले, महान् कष्ट-कारक और अत्यन्त भयानक नरकमें जाते हैं । जो जीव मकानोंकी दीवारों को छेदकर, कंजूस धनी पुरुष को मारकर और पट्टादिकको • मज्जं पिबंता पिसिदं लसंता जीवे हणंते मिगलाण तत्ता। णिमेस मेतेण सुहेण पावं पार्वति दुक्वं णिरए अणंतं ।। ति० प. अ०२, गा. ३६२. * लोह-कोह-मय-मोह बलेणं जे वदंति वयण पि असच्चं । ते पिरंतर भये उरुदुख्खे दारुणम्भि गिरयम्मि पडते ।। ति० प. अ० २. गा ३६३,
SR No.032048
Book TitleChhahadhala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatram Pandit, Hiralal Nyayatirth
PublisherB D Jain Sangh
Publication Year1951
Total Pages206
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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