SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 339
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भ्रम विध्वंसनम् । तथा "जम्बूद्वीपपन्नति" में तीर्थङ्कर जन्म्यां इन्द्र घणो विनय करे ते पाठ लिखिये छै । क सूरिंदे सीहासान्मुट्ठेइ २ ता पाय पढाओ पच्चोरुहइ २ ता वेरुलिय वरिट्ठ रिट्ठ प्रण लिउ सोच्चिय मिसिमिसिंति मणियण मंडिआओ पाउआओ उमुइ २ त्ता एग साडियं उत्तरा संग करेइ २ ता अञ्जलि मउलियहत्थे तत्परामिमुहे सत्तट्ट पयाई अगच्छइ २ ता वामं जाणु अंचे २ ता दाहिणं जाणु धरणि असि साह तिखुत्तो मुद्धा धरणिसि निवेसेइ २ त्ता ईसिं पच्चुगुणमइ २ ता कडग तुडिय भित्र भुवाओ साहरइ २ ता age परिग्गहियं सिरसावत्तं मत्यए अअलि कडु एवं बयासी - णमुत्थु अरिहंताणं भगवंताणं आइगराणं तित्थयराणं संयंबुद्धाणं पुरिसुत्तमाणं पुरिस सीहा पुरिस वर पुंडरीया पुरिसवर गंध हत्थीसं लोगुत्तमाणं लोगणाहाणं लोग हि लोगपवाणं लोग पज्जोयगराणं अभय दयाणं क्खु दया मग्गदयाणं सरण दयाणं जीव दया वोहि दयाणं धम्म दयाणं धम्मदे सियाणं धम्मनायगाणं धम्मसार - होणं धम्मवरचा उरंत चक्कवडी दीवोताणं सरणगइ पड़द्वाणं अपsिहय वरणाण दंसण धराणं विप्र उभारण जिणारा जावयाणं तिखाणं तारयाणं कुद्रा वोडिया मुत्ताणं मोगाणं सव्वभूणं सव्यदरिसीणं सियमयल मरुत्रमत मव्यवाहम पुणरायत्तियं सिद्धि गइ साम
SR No.032041
Book TitleBhram Vidhvansanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya
PublisherIsarchand Bikaner
Publication Year1924
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy