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________________ भ्रम विध्वंसनम् । १२० - - करे १ एक चोरी न करे २ एक ते धणी रो धन राखवा ने चोरी करता नी चोरी छोडावे ३ जिम गृहस्थ रोधन राखवा चोरी छुड़ावे ए तीजो न्यारो छै । तिम जीव नो जीवणों वांछी जीव छुडावे ते पिण तोजो न्यारो। चोरी छुडावे ए पिण तीजो न्यारो छ। जिम चोर ने तरिवा उपदेश देइ हिंसा छोडावे ते पिण शुद्ध छै। धन राखवारो कर्त्तव्य साधु न करे। धन राखया ने अर्थे चोर ने साधु उपदेश देवे नहीं । तिम असंयती नो जीवणो वांछी ने तेहना जीवितव्य में अर्थे साधु उपदेश देवे नहीं। हिंसक अने चोर में तरिवा भणी उपदेश देवे। परं धन राखवा ने अर्थे अने असंयम जीवितव्य में अर्थे उपदेश देवे नहीं। श्री तीर्थङ्कर देव पिण पोताना कर्म खपावा तथा अनेरा ने तारिवा में अर्थे उपदेश देवे इम का छै। पिण जीव घचावा उपदेश देवे इम कह्यो नहीं। ते पाठ प्रते लिखिये छ। नो काम किच्चा नय बाल किच्चा रायाभिओगेण कुतो भएणं । वियागरेजा पसिणं नवावि सकाम किच्च णिह आरिया ॥ १७ ॥ गन्ता क्तत्या अदुवा अगंता वियागरेजा समिया सुपरणे । अण्णारिया दंसणतो परित्ता इति संकमाणे न उवे तितत्था ॥ १८॥ (सूयगडाङ्ग श्र०२ अ६ गा०१७-१८) नो० अकाम कृन्य नथी एजले कुण अर्थे जे अण दिमास्यां काम नों करणहार हुवे तो आपण नें तथा पर ने निरर्थक कार्य करे. परं श्री भगवन्त सर्बज्ञ सर्वदर्शी परहित नों करणहार. आपण नें पर ने निरुपकारी किम थाय. ते भणी स्वामी निरर्थक काम नूं करणहार नथी. न० तथा स्वामी बाल कृत्य नथो. बाल नो परे अण विमास्यो काम न करे. तथा रा० राजा में. अ० अभियोगे करी धर्म देशनादिक ने विषे प्रवर्ते नहीं. कु० कुणहीना. भ० भयथकी विवागरे नहीं. प. प्रश्ने किंबहुना उपकार बिना किमाही में कोई न कहै. अनुत्तर विमान
SR No.032041
Book TitleBhram Vidhvansanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya
PublisherIsarchand Bikaner
Publication Year1924
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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