SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 134
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दानाऽधिकारः। कोई कहे दान क्यूं कह्यो, तो हिवे इण ऊपर १० प्रकार रो धर्म अने १० प्रकार रो स्थविर कहै छ। दस विहे धम्मे प० त० गाम धम्मे, नगर धम्मे, रटू धम्मे, पासंडधम्मे. कुलधम्मे, गणधम्मे, संघधम्मे. सुयधम्मे, चरित्तधम्मे. अस्थिकाय धम्मे। (ठाणाङ्ग ठाणा १०) द० दश प्रकारे धर्म. गा० ग्राम ते लोक ना स्थानक ते हेतु धर्म प्राचार ते ग्राम २ जुई जुई अथवा इन्द्रिय ग्राम तेहनो ध० विषय को अभिलाष. न० नगरधर्मते नगराचार ते नगर प्रते जुत्रा जुआ. २० रष्ट धर्म ते देशाचार पाषंडी न धर्म ते पाषंड श्राचार. कु. कुल धर्म ते उग्रादिक कुल नो श्राचार अथवा चन्द्रादिक साधु ना गच्छनू समूह रूप तेहनों धर्म समाचारी ग० गण धर्म ते मल्लादिक गणनो स्थिति अथवा गण ते साधु ना कुलनू समुदाय ते गण कोटिकादिक तेहनू धर्म समाचारी. सं० संघ धर्म ते गोठी नो प्राचार अथवा साधु ना संगत समुदाय अथवा चतुरर्वर्ण संघ नों धर्म प्राचार. १० श्रुत ते आचारांगादि. क० ते दुर्गति पड़तां प्राणी मे घरे से भणी। अ० प्रदेश तेहनी जे का० समूह अस्तिकाय ते हज जे गति ने विषे जे पुद्गलादिक धरिखा थको अस्तिकाय धर्म. दस थेरा ५०० गाम थेरा. नगर थेरा. रट्र थेरा. पासंड थेरा. कुल थेरा. गण थेरा, संघ थेरा. जाइ थेरा. सुय थेरा. परियाय थेरा. (ठाणागठाणा १० हिवे १० स्थविर कहे छै। ए ग्राम धर्मादि तो स्थविरादिक म हुवे. ते भणी स्थविर को छ । ६० इस दुःस्थित जन ने मार्ग ने विपे स्थविर करे ते स्थविर तिहां जे ग्राम १ नगर २ देश ३ ने विर्षे बुद्धिवन्त श्रादेज बचन मोटी मर्याद रा करनहार ग्राम ते ग्रामादिक स्थविर. धमोपदेश श्रद्धा नों देणहार ते हीज स्थिर करवा थको स्थविर. जे लौकिक लोकोत्तर कुल ग० गण. स. संघनो मर्याद नों करणहार बड़ेरा ते कुलादिक स्थविर वयस्थविर ज० साठ वर्ष नी वय मो. ९० भ्रत स्थविर ते ठाणाङ्ग समवायाङ्ग धरण हार ते. व. प्रज्याव स्थविर से वीस वर्ष नो चारित्रियो।
SR No.032041
Book TitleBhram Vidhvansanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya
PublisherIsarchand Bikaner
Publication Year1924
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy