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________________ पृ.सं. ८६ ०० ० ० १०० ११७ १२२ १२३ १२४ १२५ १२६ १२८ १२८ १३१ . ॐ श्राद्धविधि-अनुक्रमणिका कई Emmmmmmmmmmmmmmmmmmmmma: विषय पृ.सं. विषय प्रथम प्रकाश (१-२०४) जिनमन्दिर की उचित चिन्ता विविध प्राशातनाएँ • मंगलाचरण • श्राद्धविधि ग्रन्थ के द्वार देवद्रव्य की वृद्धि कैसे करें • श्रावक के २१ गुण • उपदेश-श्रवणविधि • श्रावक का स्वरूप • ज्ञान और क्रिया का समन्वय • श्रावक के व्रतभङ्ग • गुरु भगवन्त को गोचरी-निमंत्रण • श्रावक के दिनकृत्य • ग्लानसेवा • निद्रात्याग शास्त्र-अध्ययन • नवकारजाप कायोत्सर्गविधि द्रव्य-उपार्जन पच्चक्खाण का संकल्प व्यापार विधि नियमग्रहण-विधि आजीविका के सात उपाय सचित्त-अचित्त और मिश्र योग्य सेव्य कौन ? __ वस्तुओं का स्वरूप व्यापार में व्यवहार शुद्धि भोज्य पदार्थों की मर्यादा न्यास स्थापना चौदह नियम आय के अनुसार व्यय • पच्चक्खाण विधि लोकविरुद्ध कार्य अशन, पान, खादिम व धर्मविरुद्ध कार्य स्वादिम का स्वरूप नौ प्रकार का उचित आचार प्रणाहारी वस्तुएँ मूर्ख के १०० लक्षण • जिनपूजा हेतु द्रव्यशुद्धि • मध्याह्न पूजा व सुपात्रदान सात्त्विक भोजन व भोजनविधि भावशुद्धि जिनमन्दिर गमनविधि • सन्ध्याकृत्य पूजा के तीन प्रकार पूजा के सत्रह भेद द्वितीय प्रकाश (२०५-२१८) २१ प्रकार की पूजायें • रात्रिकृत्य स्नात्रपूजाविधि प्रतिक्रमण के पाँच भेद प्रतिमा के विविध भेद गुरुसेवा द्रव्यस्तव के भेद शीलांगरथ का स्वरूप भावस्तव स्वजन-उपदेश अनुष्ठान के भेद ७७ निद्राविधि Www . १३६ १५५ १६१ १७० १७१ १७२ १८६ १६५ ४५ ४५ २०२ २०५ GKW २०७ २१० २११ २१२ ७४ २१४
SR No.032039
Book TitleShravak Jivan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnasensuri
PublisherMehta Rikhabdas Amichandji
Publication Year2012
Total Pages382
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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