SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 80
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अभिनव प्राकृत-व्याकरण वइसवणो, वेसवणोवैश्रवणः - ऐकार के स्थान पर अइ, श्र के र का लोप, अभाव पक्ष में ए । वइसंपाअणो, वे संपाअणो वैशम्पायन:वइआलिओ वेआलिओ < वैतालिक:वइसिओ, वेसिओ वैशिक:चइत्तो, चेत्तो चैत्र: : द्वित्व | = कोसिओ कौशिक:-- J यथा "" 99.99 " "" " ( ९६ ) शब्द के आदि औकार को ओकार आदेश होता है । जैसेकोमुई कौमुदी - औ के स्थान पर ओकार, द लोप और स्वरशेष । जोव्वणं यौवनम् - य के स्थान पर ज, औ का ओ और व को द्विस्व । कोत्थुहो< कौस्तुभः – औकार का ओ, स्तु के स्थान पर त्थु और भ के स्थान दोहग्गं दौर्भाग्यम् - "" " गोदमोद गौतम : - औकार का ओ और त का द । कोसंबी कौशाम्बी - औकार का ओ हुआ है I कोंचो <क्रौञ्चः— पर ह । सोहग्गं सौभाग्यम् — औकार का ओ, भ के स्थान पर छ, य् लोप और ग को द्वि । १. श्रौत श्रोत ८ । १ । १५९. । हे० । २. उत्सौन्दर्यादौ ८।१।१६०. हे० । य लोप और स्वरशेष | "" " " कु का लोप और स्वरशेष | " और क का लोप तथा स्वर शेष । २ (९७) सौन्दर्यादिगण के शब्दों में औ के स्थान पर उत्तू आदेश होता है । "" "" त्र के र का लोप और त को " ܕܕ सुन्दरं, सुंदरिअं सौन्दर्यम् - औ के स्थान पर उ होने से 1 सुंडो शौण्ड:- -औ के स्थान पर उत् आदेश । दुवारिओ दौवारिक: - औ के स्थान पर उत् और क का लोप, स्वर शेष । मुंजायमानः – औ के स्थान पर उतू आदेश । सुगंधत्तणं द सौगन्ध्यम्-औ के स्थान पर उत् आदेश । पुलोमी<पौलोमी सुवण्णिओ सौवर्णिकः, ४९ " 99 ""
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy