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________________ ३८० संस सक सज्ज सड सडढ सद्दह सप्प सम समत्थ समर समाण समोसव सम्म सय सय सर सलह सव सस सह सार सार साराय, साराव सास, साह साह सिंगार स् खिसकना, गिरना कहना, प्रशंसा करना श√सृक सकना, समर्थ होना; जाना, गति अभिनव प्राकृत-व्याकरण खञ्ज, सज् सडू, ट श्लाघ् √शपू, √सू, √खु √शदू श्रद् + √धा √सृप् √शम्, शमय् सम् + अर्थ स्मृ याद करना √भुज, सम् + √आप भोजन करना, खानाः समाप्त करना दे० करना आसक्ति करना, आलिंगन करना; तैयार होना टुकड़ा टुकड़ा करना शान्त होना √शम् √शी, √स्त्र; √स्वडू सोना, शयन करना; पचना, जीर्ण होना झरना, टपकना; सेवा करना स्रु, √नি सृ, स्मृ, स्वर् खिसकना याद करना; सरकना, आवाज करना प्रशंसा करना शाप देना, गाली देना; उत्पन्न करना; स्वरयू सड़ना, विषाद करना, विनाश करना, कृश करना श्रद्धा करना, विश्वास करना जाना, गमन करना शान्त होना, उपशान्त होना; उपशान्त करना, दबाना सिद्ध करना, पुष्ट करना खारायू खेद करना भरना, टपकना चश्वस् श्वास लेना राज़, सह, आज्ञा शोभनाः सहन करना; आदेश देना सार, प्र + √, स्मारय् ठीक करनाः प्रहार करना; याद दिलाना शास्√ऋथयू साध् शृङ्गा बुलवाना सार रूप होना; चिपकवाना, लगवाना सजा करना, सीख देना कहना सिद्ध करना; बनाना सिंगार करना, सजावट करना
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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