SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 382
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अभिनव प्राकृत-व्याकरण ३५१ ओधाव ओबुज्झ ओमिण ओमील ओमुय ओरस ओरुम्मा ओलग्ग ओलिंप अव+ धाव अव+Vबुध अव+Vमा अव + मील अव + मुच अव + Vत उद् + Vवा अव+ Vलग अव+ लिप वि+ Vध्यापय अप + Vवर्त्तय तिज अप + घट्ट अप + ह, अव + Vह Vतुलय अव + Vधारय आ + क्रम् अव + धाव नि+ द्रा पीछे दौड़ना जानना मापना, मान करना मुद्रित होना, बन्द होना पहनना नीचे उतरना सूखना पीछे लगना लीपना, लेप लगाना बुझाना, ठंडा करना उलटा करना, घुमाना तीक्ष्ण करना, तेज करना कम होना, ह्रास होना अपहरण करना; टेढ़ा होना,वक्र होना तौलना, तुलना करना निश्चय करना आक्रमण करना ओल्हव ओवत्त ओसुक्क ओहट्ट ओहर, ओहिर ओहाम ओहार ओहाव पीछे हटना ओहाव ओहोर सो जाना, निद्रा लेना कंड कंडार कंद कंप कण्ड उत् + क्रन्दू कम्प Vब्रुड कृत कटाक्षय कन्जलाव कट, कत्त कडक्ख कड्ढ कढ कण धान का छिलका अलग करना खोदना, छोल-छाल कर ठीक करना रोना, आक्रन्दन करना कांपना, हिलना डूबना, वूड़ना काटना, छेदना कटाक्ष करना खीचना क्वाथ करना, उबालना, गरम करना शब्द करना, आवाज करना समर्थ होना, कल्पना करना चाहना कृष् कप्प कृप् कम
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy