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________________ ३५० ऊसल, ऊसुंभ ऊसार ऊह ए एड एस एह ओअंद ओअक्ख ओअग्ग ओअर ओअल्ल ओअव ओआर ओईंध ओक्कस ओक्खंड ओगाह ओगिज्झ ओग्गाल ओच्छर ओच्छाय ओणंद ओणल्ल ओणिअत्त ओद्धंस उत् + √लस् उत् + √सारय् √ऊह् अभिनव प्राकृत व्याकरण आ + √इ. √एड् आ + √ इष चालुघू आ + छिद् दश वि+आ अत्र + √तृ अव + √चल् साधय् अप + आ + √मुच् अव + √ कृष अव + अव + गा अव + √ग्रह रोमन्थायू 、 -खण्डय् अव + √स्तृ अव + छा अव + नन्दू + अपनि + वृत् अव + ओ उल्लसित होना " दूर करना तीर्थ करना आना, आगमन करना छोड़ना, त्याग करना खोजना, निर्दोष भिक्षा की खोज करना या ग्रहण करना बढ़ना, उन्नत होना बलपूर्वक छीनना देखना, अवलोकन करना व्याप्त करना जन्म ग्रहण करना, अवतार लेना चलना साधना, वश में करना, जीतना डाँकना, रोकना छोड़ना, लागना निमन होना, गड़ जाना तोड़ना अवगाहन करना आश्रय लेना पगुराना, चबाई हुई वस्तु को पुन: चत्राना विछाना, फैलाना आच्छादन करना अभिनन्दन करना लटकना पीछे हटना, वापस लौटना गिराना, हटाना
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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