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________________ अभिनव प्राकृत व्याकरण भविष्यत्कृदन्त ( ४८ ) धातु में इस्संत, इस्समाण और इस्सई प्रत्यय जोड़ने से भविष्यसूचक कृदन्त के रूप बनते हैं । = कृ कर. + इस्संत करिस्तो करिष्यन् — करता होगा । कर + इस्समाण = करिस्समाणो करिष्यमाण:- — करता होगा । कर + इस्लई = करिस्सई 4 करिष्यन्ती—करती होगी । कर + आवि = करावि + इस्समाण = कराविस्समाणो कारापयिष्यमाणः । करावि + स्संतो = कराविस्संतो कारापयिष्यन् – कराता होगा । ३२३ हेत्वर्थ कृत् प्रत्यय ( ४९ ) धातु में तुं, दुं और तए हेत्वर्थ कृत् प्रत्यय जोड़ने से हेत्वर्थं कृदन्त के रूप बनते हैं। (१०) उपर्युक्त हेत्वर्थ कृत्प्रत्ययों के जोड़ने पर पूर्ववर्ती अको इ और ए हो जाता है । तुं ( उं ), ढुं भण्-भण + तं ( उं ) = भणिउं (प्रत्यन जोड़ने के पूर्व अकार को इत्व हुआ ) । भण + तुं ( उ ) = भणे - प्रत्यय के पूर्ववर्ती अकार को एत्व हुआ । 3 .. भण + तुं = भणितुं, भणेतुं - अकार को इत्व एवं एत्व होने से दोनों रूप बनेंगे । भण + दुं = भणि, भणेदुं - मणितुम् । हस - हस +तुं (उं) = हसिउं, इसेउं - प्रत्यय के पूर्ववर्ती अकार को इत्त्र और एव । इस + तुं = हसितुं, हसेतुं, हसिदु, हसेदुं हसितुम् । हो भू - होअ + तुं ( उ ) - होइउं – अकार के स्थान पर इकार । = एव । 39 होअ + तं ( उ ) = होएउं 19 59 9 होअ + तं; होअ + दुं = होइतुं, होएतुं होइदु, होएदु भवितुं । प्रेरणार्थक हेतु कृदन्त ( ११ ) धातु में प्रेरणार्थक प्रत्यय जोड़ने के पश्चात् तुं, दुं प्रत्यय जोड़े जाते । यथाभण् [-भण + आवि = भणावि + तुं (उं) = भणाविडं भण + आवि = भणावि + दुं = भणाविदु कर कर + आवि = करावि + तुं (उं) = कराविडं कर + आवि = करावि + दुं = कराविदु, करावितुं
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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