SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 352
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हू-भू-हू + अ = हूअं हु + द = हूदं हू + त = हूतं अभिनव प्राकृत - व्याकरण भूतम् — हुआ भूतम् - हुआ भूतम् - हुआ प्रेरणार्थक भूतकृदन्त ( ४६ ) धातु में प्रेरणासूचक आवि और इ प्रत्यय जोड़ने के उपरान्त भूतकृत् प्रत्यय जोड़ने से प्रेरणार्थक भूतकृदन्त के रूप होते हैं। यथा कर करावि + अ = कराविअं करवाया grodems करावि + द = कराविदं करावि + त = करावितं कर-कार + इ = कारि ( इ प्रत्यय होने पर उपान्त्य अ को दीर्घ हो जाता है ) - कारितम् - कराया, कारितम् -कराया, करवाया कारितम् - कराया, करवाया कारि + अ = कारिअं कारितम् कारि + द = कारिदं, कारि + त = हस् + आवि = इसावि + अ = हसाविअं त = इसावितं हासितम् - हँसाया, हँसवाया : कारितम् - कराया, करवाया २१ ३२१ हसावि + द = हसाविदं हसावि + " अनियमित भृतकृदन्त ( ४७ ) कुछ ऐसे भी भूतकालीन कृदन्त रूप मिलते हैं, जिनमें उपर्युक्त नियम लागू नहीं होता । ध्वनिपरिवर्तन के नियमों के आधार पर संस्कृत से निष्पन्न कृदन्त रूपों को प्राकृत रूप बनाया जाता है । यथा गयं गतम् – मध्यवर्ती त का लोप हो गया है, और अवशेष स्वर के स्थान पर श्रुति हुई है। ܢ मयं मतम् —,, "9 "" कडं ८ कृतम् – ककारोत्तर ऋ के स्थान पर अ और त के स्थान पर 'प्रत्यादौ डः" (८/१/२०६ ) सूत्र से ड हुआ है । हडं हृतम् — हकारोत्तर ऋकार को अ और त के स्थान पर ड । मड दमृतम् — मकारोत्तर ऋकार को अ और त को ड हुआ है । जिअंजितम् - मध्यवर्ती तकार का लोप और अ स्वर शेष । तप्तं तप्तम् — संयुक्त प् का लोप और त को द्वित्व | कथं कृतम् – विकल्प से मध्यवर्तीत का लोप होने से अ स्वर शेष और अ को श्रुति । दट्ठ दृष्टम् — संयुक्त ष का लोप और ट को द्वित्व तथा ट को ठ; दकारोत्तर ऋ को अ ।
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy