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________________ प्रस्तावना वृत्ति त्रैविक्रमीं गूढां व्याचिख्यासन्ति ये बुधाः । षड्भाषाचन्द्रिका तैस्तद् व्याख्यारूपा विलोक्यताम् ॥ २१ अर्थात् - जो विद्वान् त्रिविक्रम की गूढ वृति को समझना और समझाना चाहते हैं, वे उसकी व्याख्यारूप षड्भाषाचन्द्रिका को देखें । प्राकृत भाषा की जानकारी प्राप्त करने के लिए षड्भाषाचन्द्रिका अधिक उपयोगी है। इसकी तुलना हम भट्टोजिदीक्षित की सिद्धान्तकौमुदी से कर सकते हैं । प्राकृतरूपावतार fatosमदेव के सूत्रों को ही लघुसिद्धान्त कौमुदी के ढंग पर संकलित कर सिंहराज ने प्राकृतरूपावतार नामक व्याकरण ग्रन्थ लिखा है। इसमें संक्षेप में सन्धि, शब्दरूप, धातुरूप, समास, तद्धित आदि का विचार किया है। व्यावहारिक दृष्टि से आशुबोध कराने के लिए यह व्याकरण उपयोगी है। हम सिंहराज की तुलना वरदाचार्य से कर सकते हैं 1 प्राकृतसर्वस्व मार्कण्डेय का प्रातसर्वस्व एक महत्त्वपूर्ण व्याकरण है। इसका रचनाकाल १५ वीं शती है । मार्कण्डेय ने प्राकृत भाषा के भाषा, विभाषा, अपभ्रंश और पैशाची— ये चार भेद किये हैं । भाषा के महाराष्ट्री, शौरसेनी, प्राच्या, अवन्ती और मागधी; विभाषा के शाकारी, चाण्डाली, शावरी, आभीरिकी और शाक्की; अपभ्रंश के नागर, ब्राचड और उपनागर एवं पैशाची के कैकयी, शौरसेनी और पांचाली आदि भेद किये हैं । मार्कण्डेय ने आरम्भ के आठ पादों में महाराष्ट्री प्राकृत के नियम बतलाये हैं । इन नियमों का आधार प्रायः वररुचि का प्राक्तप्रकाश ही है । ९ वें पाद में शौरसेनी के नियम दिये गये हैं। दसवें पाद में प्राच्या भाषा का नियमन किया गया है । ११ अवन्ती और वाह्रीकी का वर्णन । १२ वें में मागधी के नियम बतलाये गये हैं, इनमें अर्धमागधी का भी उल्लेख है । ९ से १२ तक के पादों का भाषाविवेचन नाम का एक अलग खण्ड माना जा सकता है । १३ वें से १६ वें पाद तक विभाषा का नियमन किया है । १७वें और १८वें में अपभ्रंश भाषा का तथा १९वें और २०वें पाद में पैशाची भाषा के नियम दिये हैं। शौरसेनी के बाद अपभ्रंश भाषा का नियमन करना बहुत ही तर्कसंगत है। ऐसा लगता है कि हेम ने जहाँ पश्चिमीय प्राकृत भाषा की प्रवृत्तियों का अनुशासन उपस्थित किया है, वहां मार्कण्डेय ने पूर्वीय प्राकृत की प्रवृत्तियों का नियमन प्रदर्शित किया है ।
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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