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________________ अभिनव प्राकृत-व्याकरण २१७ काहे < कर्हि-कब, किस समय किंचि< किञ्चित्-अल्प, ईषत् , थोड़ा किंणा, किण्णा,किणो< किन्नु-प्रश्न किर, किल < किल-निश्चय, सचमुच केवच्चिर, केवच्चिरेण किय- केवलं केवलम्-सिर्फ . चिरम् , कियच्चिरेग-कितनी देर से खलु, खुद खलु-निश्चय चिअ, चेअ चैव-और भी । जइ< यदि-जो जओर यतः-क्योंकि जत्थर यत्र-जहाँ जह, जहा यथा-जैसे जहेव < यथैव-जिस प्रकार से जंयत्-जो, क्योंकि जाव<यावत्-जबतक जह, जहा < यथा-यथा-जैसे-जैसे जह-तहा< यथा-तथा-जैसे-तैसे जाव<यावत्-जबतक जेण< येन-जिससे जे ये-पादपूरक झगिति--सम्प्रति झत्ति < झटिति-जल्दी ण<न-निषेधार्थक णइ-अवधारण णं<नं-वाक्यालंकार णमो< नम:--नमस्कार णवर-परन्तु, केवल णवरि–अनन्तर णवरं < नवरम् - विशेषता णाणार नाना-अनेक णूण, णूणं ८ नूनम्-निश्चय, तर्क णो<नो-निषेध तं< तत्-वाक्यारंभ, इसलिए तंजहा< तद्यथा-उदाहरणार्थ, जैसे तए<तदा-तब तओ, ततो, तत्तो< तत:- पुन: इसके पश्चात् तत्थ < तत्र-वहाँ तप्पमिइं< तत्प्रभृति-इसको आदि कर तह, तहा<तथा- उस तरह तहेव < तथैव-उसी तरह तहि, तहिं < तत्र-वहाँ तिरियं< तिर्यक-बांका या तिरछा तिरोपतिरः-छिपाना तीअं अतीतम्--अतीत तु< तु-किन्तु थू थूत्-तिरस्कार दर<दर-आधा, थोड़ा, अल्प दिवारत्तं< दिवारानम्-रात-दिन दुट् ठु< दुष्ठु-दुष्ट, खराब दुहओ, दुहार द्विधा- दो प्रकार धुवं<ध्रुवं-निश्चय णिच्चं, निच्चं< नित्यम् -नित्य पच्चुअ< प्रत्युत-उलटा .....- पगेर प्रगे-प्रातःकाल में पच्छा< पश्चात-पीछे पडिरूवं प्रतिरूपम्-समान परज्जु परेयुः-दूसरे दिन, कल परं परम् -परन्तु
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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