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________________ १५६ छ० - हरिणो हरिस्स स० - हरिम्मि, हरिसि हरि सं० - हरी, एकववच प० - गिरी वी० — गिरिं त—– गिरिणा -- छ० – च - गिरिणो, गिरिस्स पं० - गिरिणो, गिरित्तो, गिरीओ, गिरीउ, गिरीति - गिरिणो, गिरिस्स स० - गिरिम्मि, गिरिंसि सं० - गिरी, गिरि एकवचन अभिनव प्राकृत-व्याकरण इकारान्त गिरि शब्द के रूप प० - रवई वी० - नरवई इकारान्त णरवइ (नरपति) शब्द के रूप एकवचन नवउ, णरवओ, णरवइणो, रवणो णरवई " त० - णरवइणा च० - रवइणो, णरवइस्स पं० - नरवणो णरत्रइन्तो, परवईओ, नरवईड, नरवईहिंतो छ० - णरवइणो, णरवइस्स सरवइम्मि, णरवइंसि सं० - हे णरवई, हे णरवइ प० - इसी वी० - इसिं हरीण, हरीयां हरी हरी हरउ, हरओ, हरिओ, हरी एकवचन बहुवचन गिरी, गिरओ, गिरड, गिरिणो गिरिणो, गिरी गिरिहि, गिरिहि, गिरीहिं गिरीण, गिरीणं गिरितो, गिरीओ, गिरीउ, गिरीहिंतो, गिरीसंतो गिरीण, गिरीणं गिरी, गिरीसु गिरड, गिरओ, गिरिणो, गिरी णरवहि, णरवहिं णरवईहिं नरवईण, नरवईणं णरवतो, णरवईओ, णरवईड, णरवईहिंतो नरवईसुतो णवण, व णरवई, णरवसु इकारान्त इसी रिसी (ऋषि) हे णरवउ, हे परवओ, हे णरवहणो, हे णरवई 9 बहुवचन इसओ, इसिणो, इसी इस उ, इस, इ वई
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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