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________________ एकवचन १५२ अभिनव प्राकृत-व्याकरण वीर बहुवचन प०-वीरो वीरा वी०-वीरं वीरे, वीरा त०-बोरेण, वीरेणं वीरेहि, वीरेहि, वीरेहि च-वीरस्स ( वीराय ) वीराण, वीराणं पं०-वीरत्तो, वीराओ, वीराउ, वीरत्तो, वीराओ, वीराउ, वीराहि, वीरेहि, वीराहि, वीराहितो, वीरा । वीराहितो, वीरेहितो, वीरासुंतो, वीरेसुंतो छ०-वीरस्स वीराण, वीराणं स०-वीरे, वीरम्मि ( वीरंसि ) वीरेसु, वीरेसं सं० हे वीरो, हे वीरा हे वीरा जिण (जिन) एकवचन बहुवचन प०-जिणो जिणा वी०-जिणं जिणा, जिणे त:-जिणेण, जिणेणं जिणेहि, जिणेहि, जिणेहि च०-जिणस्स, जिणाय जिणाण, जिणाणं ५०-जिगत्तो, जिणाओ, जिणाउ, जिणत्तो, जिणाओ, जिणाउ, जिणाहि, जिणाहि, जिणाहितो, जिणा जिणेहि, जिणाहितो, जिणेहितो, जिणासंतो, जिणेसंतो छ॰—जिणस्स जिणाण, जिणाणं स०-जिणे, जिणम्मि, जिणंसि जिणेसु, जिणेसु सं०-हे जिणो, हे जिणा हे जिणा वच्छ - वृक्ष बहुवचन प०-वच्छो ସ8 वी०-वच्छं वच्छा, वच्छे त०-वछेण, वच्छेणं वच्छेहि, वच्छेहि , वच्छेहि च०-वच्छस्स, वच्छाय वच्छाण, वच्छाणं पं०-वच्छत्तो, वच्छाओ, बच्छाउ, वच्छत्तो, वच्छाओ, वच्छाउ, वच्छेहि, वच्छाहि, वच्छाहितो, वच्छा वच्छाहि, वच्छाहितो, वच्छेहितो, वच्छासंतो, वच्छेसुंतो एकवचन
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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