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________________ सिलिम्हा श्लेष्मा - संयुक्त ल को इल । सिलोओ श्लोक:सिलिट्ठ शिष्टम् सुइलं शुक्लम् - अभिनव प्राकृत - व्याकरण संयुक्त क का लोप, तालव्य श को दन्त्य स । ( ६१ ) संस्कृत के 'र्य' संयुक्त व्यञ्जन को प्राकृत में रिअ होता है । आयरिओ <आचार्य:: - चकार का लोप, आ शेष, य भूति, हस्व और र्य के स्थान पर रिअ । " गंभीरिअं गाम्भीर्यम् — दीर्घं को हस्व और र्यं को रिअ । " गहीरिअंगाभीर्यम् — "" चोरिअं चौर्यम् - औकार को ओकार और र्य के स्थान पर रिअं । धीरिअं धैर्यम् - ऐकार को ईत्व और र्य को रिअं । ," 99 (ङ) त्त = श्व बम्हचरिअं << ब्रह्मचर्यम् — संयुक्त रेफ का लोप, ह्म को म्ह और र्य को रिअ । भरिआ < भार्यार्य को रिअ । वरिअं वर्यम् - K वीरिअं वीर्यम्थेरिअं <स्थैर्यम्सूरिओ सूर्य:- को रिअ । K सुन्दरिअं सौन्दर्यम् – औकार को उकार, र्य को रिअ । सोरिअं शौर्यम् को रिअ । किच्ची < कृत्ति: " (च) थ्य = च - "" - - संयुक्त स का लोप, ऐकार को एकार, र्य को रिअ । (६२) संस्कृत के संयुक्त व्यंजनों में कुछ विशेष परिवर्तन भी होता है । ( क ) ग्ण =क्क— लुक्कोण:-ग्ण के स्थान पर क्क और रु को लु । (ख) क्ष्ण = क्ख तिक्खं तीक्ष्णम् -ती को ह्रस्व तथा क्ष्ण के स्थान पर क्ख । (ग) स्त = ख खंभो स्तम्भ - स्त के स्थान पर ख । (घ) स्फ = ख खेडओ <स्फेटक: – स्फ के स्थान पर ख । १३५ -प्त के स्थान पर च । तश्चं < तथ्यम् —थ्य के स्थान पर डच ।
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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