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________________ अभिनव प्राकृत-व्याकरण छुहार सुधा–स के स्थान में छ आदेश और ध को ह। ( ख ) सह-- दिवहो< दिवस:-स के स्थान पर ह और विसर्ग को ओत्व । (३६ ) संस्कृत का ह वर्ण प्राकत में घ और र में बदलता है। सिंघ< सिंह:-~ह के स्थान पर घ। उत्थारो< उत्साहः-त्स को स्थ और ह के स्थान पर र। ( ३७ ) संस्कृत की कई ध्वनियों का प्राकृत में लोप हो जाता है। (क ) स्वर लोपरणं< अरण्यम्-अ का लोप। लाऊ < अलाबू- , (ख) व्यञ्जन लोप पारो< प्राकार:-के का लोप । वारणं< व्याकरणम्-,, आओ< प्रागत:-ग का लोप । दणू< दनुज:-ज का लोप । दणुवहो< दनुजबध:-, भाणं-भाजनम्- , राउलं< राजकुलम् - ,, उंवरोद उदुम्बरः-द का लोप । दुग्गावी< दुगादेवी- , पावडणं< पादपतनम्- , पावीढं< पादपीठम् - , किसलं किसलयम् –य का लोप कालासं<कालायसम् - , हिअं< हृदयंसहिओ सहृदयः- , अडो< अवडो-व लोप। अत्तमाणो< आवर्तमान:-,, एमेव< एवमेव-व कोप जीअंदजीवितम्-, देउलंद देवकुलम्-" पारओ प्रावारक:जा<यावत--- ,
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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