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________________ १२२ अभिनव प्राकृत-व्याकरण निसंसो< नृशंस:--संयुक्त ऋकार को इत्व और श को स। . . . विसइ<विंशति—अनुस्वार को लोप, श को स और त का लोप, इ शेष । बंसोवंश:--श के स्थान पर स। सद्दो<शब्द:-श को स, संयुक्त ब का लोव और द को द्वित्व । सामा< श्यामा संयुक्त या का लोप, श को स। सुद्धं< शुन्द्वम्-श को स। सोहइ< शोभते-श को स, भ को ह और विभक्ति चिह्न इ । (ग) शहएआरह - एकादश-क लोप, अ स्वर शेष, द को र और श को ह । दह ८ दश–श को ह। दहबलो<दशबल:-, दहमुहो< दशमुख:-, और ख को ह। दहरहो < दशरथ:-श को ह और थ के स्थान में भी ह। बारह - द्वादश-संयुक्त द का लोप, द को र, श को ह । तेरह - त्रयोदश-त्रय के स्थान में ते, द को र, श को ह। ( ३४ ) संस्कृत के ष वर्ण का प्राकृत में छ, 'ह, स और ह में परिवर्तन होता है। (क ) ष% छ छप्पहो<षटपदः-षट के स्थान पर छ और द को ह। छमुहो< षण्मुहः छट्टो< षष्ठः- के स्थान पर छ, संयुक्त ष का लोप और 3 को द्वित्व तथा प्रथम महाप्राण का अल्पप्राण । छट्ठीषष्ठी( ख ) ष = बह सण्हा< स्नुषा-संयुक्त न का लोप और ष के स्थान में पह। . (ग) ष% स कसायो< कषाय:- के स्थान में स । निहसो< निकष:-क को ह और ष को स । संडोरपण्डः–प को स। ( ३६ ) संस्कृत के स वर्ण का प्राकृत में छ और ह में परिवर्तन होता है। (क) स= छ छत्तपण्णो ८ सप्तपर्ण:-स को छ, संयुक्त प का लोप, त को द्विस्व, प को व, संयुक्त रेफ का लोप और ण को द्वित्व । "
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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