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________________ ११८ अभिनव प्राकृत-व्याकरण नीमो< नीप:-५ को म, विसर्ग को ओत्व । (ग) पव वहुत्तं< प्रभूतम् - संयुक्त रेफ का लोप और प को व, भ को ह तथा त को द्वित्व । (घ) पर पारद्धी-पापद्धि:-यहां प के स्थान पर र, संयुक्त रेफ का लोप और दीर्घ । ( २६ ) संस्कृत के ब वर्ण का प्राकृत में, भ, म और य में परिवर्तन होता है। (क) ब = भ भिसिणी< बिसिनी-ब के स्थान पर भ हुआ है। (ख) बम कमंधो< कबन्धः-मध्यवर्ती ब को मकार । (ग) ब = य कयन्धो< कबन्ध:--ब के स्थान पर य और विसर्ग को ओत्व । (२७) संस्कृत के भ वर्ण का प्राकृत में व और ह में परिवर्तन होता है। ( क ) भ = व केढवो कैटभ:-ऐकार को एत्व, ट को ढ और भ को व । ( ख ) भ =ह नहं< नभस्-भ के स्थान पर ह । पहा< प्रभा-संयुक्त रेफ का लोप और भ को ह। सहा< सभा-भ को ह। सहावो स्वभावः-संयुक्त व का लोप, भ के स्थान पर ह और विसर्ग को ओत्व । सोहइ शोभते-तालव्य श को दन्त्य स, भ को ह और विभक्ति चिह्न इ । ( २८ संस्कृत का म वर्ण प्राकृत में ढ, व और स में परिवर्तित होता है । (क) म% ढ विसढो< विषमः-मूर्धन्य ष को दन्त्य स और म को ढ। (ख ) म=व-- वम्महो< मन्मथ:-म के स्थान पर व तथा संयुक्त न का लोप और म को द्वित्व, थ को ह। अहिवन्नू ८ अभिमन्युः-भ को ह और म को व, संयुक्त य का लोप, न को द्वित्व और ह्रस्व को दीर्घ । (ग) मस भसलो भ्रमरः-संयुक्त रेफ का लोप, म को स और रेफ को ल।
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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