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________________ ११७ अभिनव प्राकृत-व्याकरण ११५ बाहइ< बाधते-ध के स्थान में ह और विभक्ति चिह्न है। वाहो< व्याधः-संयुक्त य का लोप और ध को ह। साहू साधुः–ध को ह और ह्रस्व उकार को दीर्घ । ( २४ ) प्राकृत में संस्कृत के न वर्ण का ण, "ह और ल में परिवर्तन होता है। ( क ) न = ण-स्वर परवर्ती, एकपदस्थित और असंयुक्त न को ण होता है। कणयं< कनकम-न को णत्व, क लोप और अ स्वर को य श्रुति । नयणं नयनम्-न को णत्व । मयणोद मदन:-मध्यवर्ती द का लोप, और शेष अ स्वर के स्थान पर य श्रुति न को णत्व । वयणं ववनम्-मध्यवर्ती च का लोप, अ स्वर के स्थान पर य, न को गत्व । वयणं< वदनम् -मध्यवर्ती द का लोप, अ के स्थान पर य तथा न को णत्व। . मई < नदी-न को णत्व, दकार का लोप और ईस्वर शेष। जरो< नर:-न को णत्व, विसर्ग को ओत्व । णेइ< नयति-न को णत्व और विभक्ति चिह्न इ । (ख ) न = बह हाविओ< नापित:-न के स्थान पर विकल्प से ण्ह, प को व, तकार का लोप अ स्वर शेष तथा विसर्ग को ओत्व, विकल्पाभाव में-नाविओ रूप । (ग) नललिंबो< निम्बः-न को ल, विसर्ग को ओत्व । ( २५ ) संस्कृत के प वर्ण का प्राकृत में फ, म, व और र में परिवर्तन होता है । (क) प= फ फणसो< पनस:-4 के स्थान पर फ, न को णत्व और विसर्ग को ओत्व । फलिहो< परिध:-4 के स्थान पर फ, र को ल, ध को ह और विसर्ग को ओस्व । फलिहा< परिखा-प के स्थान पर फ, र को ल और ख के स्थान में ह। फरुसो परुष:--' को फ और मूर्धन्य ष को दन्त्य स । फाडि पाटि-4 को फ और ट को ड । फालिहदो पारिभद्रः-4 को फ, र को ल, भ को ह और संयुक्त रेफ का लोप, ६ को द्वित्व तथा विसर्ग को ओत्व। (ख) पम___आमेलो< आपीड:-4 के स्थान पर म, ईकार को एकार, ड को ल, विसर्ग को ओस्व
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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