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________________ १०६ अभिनव प्राकृत-व्याकरण (ख ) ऐ-इ सणिच्छरो< शनैश्चर:-तालव्य श को दन्त्य स, न को ण, नकारोत्तर ऐकार को इत्व, श्च को च्छ, विसर्ग को ओत्व । सिन्धवं< सैन्धवम्-सकारोत्तर ऐकार को इकार । सिन्नम् , सेन्नं< सैन्यम्-सकारोत्तर ऐकार को विकल्प से इकार, संयुक्त य का लोप और न को द्वित्व। (ग ) ऐ = ई धीरं धैर्यम्-धकारोत्तर ऐकार को ईत्व, संयुक्त यकार का लोप और र शेष । (घ) ऐ = अइ अइसरिअं< ऐश्वर्यम्-ऐकार को अइ, संयुक्त व का लोप, तालव्य श को स, र्यम् को रिझं। कइअवं < कैतवम्—ऐकार को अइ, तकार का लोप और अ स्वर शेष । चइत्तं चैत्यम्-चकारोत्तर ऐकार को अइ, संयुक्त य का लोप और त को द्वित्व । दइच्चोद दैत्य:-दकारोत्तर ऐकार को अइ, त्य कोच, विसर्ग को ओत्व । दइअवं< दैवतम् - , , , वर्णविपर्यय से वतम् का अवं । भइरवो< भैरव:-भकारोत्तर ऐकार को अइ । वइजवणो< वैजवन:-वकारोत्तर ऐकार को अइ । वइआलीअं< वैतालीयम्- ,, तकार का लोप और आ स्वर शेष । वइदब्भोः वैदर्भ:- , संयुक्त रेफ का लोप, भ को द्वित्व और पूर्ववर्ती भ को ब। वइएसो< वैदेश:–वकारोत्तर ऐकार को अइ, मध्यवर्ती कार का लोप, एकार शेष। वइएहोद वैदेहः- " " " . वइसाहो< वैशाख:- , श को स, ख के स्थान में ह और विसर्ग को ओत्व। वइसालो< वैशालः–वकारोत्तर ऐकार को अइ, श को स। वइस्साणरोद वैश्वानरः- , संयुक्त व का लोप, स को द्वित्व न को ण तथा विसर्ग को ओत्व। सरस्वैरम्- संयुक्त व का लोप, सकारोत्तर ऐ को अइ ।
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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