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________________ अभिनव प्राकृत-व्याकरण सिआलो शृगालः – तालव्य श को दन्त्य स, शकारोत्तर ऋकार को इत्व, ग का लोप और आ स्वर शेष, विसर्ग को ओव । १०० सिंगारो शृंगार : - तालव्य श को दन्त्य स, शकारोत्तर ऋ को इत्व, और विसर्ग को ओत्व | सइ सकृत् - क का लोप और ककारोत्तर ऋकार को इत्व, अन्त्य हलन्त त् का लोप । समिद्धी समृद्धि : मकारोत्तर ऋकार को इत्व, कारोत्तर इकार को दीर्घं । सिहं सृष्टम् – सकारोत्तर ऋकार को इत्व, संयुक्त ष का लोप ट को द्वित्व और द्वितीय ट को ठ | सिट्ठी सृष्टि: K अन्तिम इकार को दीर्घ । " "" 93 छिहा स्पृहा - स्प में रहनेवाली ऋ को इत्व, रूप के स्थान पर छ । हिअयं हृदयम् - हृ में रहने वाली ऋ को इत्व तथा द का लोप और अ स्वर शेष । माइहरं < मातृगृहम् – तकारोत्तर ऋ का इत्व और गृह को हरं । - मियतण्हा मृगतृष्णा - मकारोत्तर ऋकार को इत्व, ग का लोप, अ स्वर शेष और य श्रुति, तकारोत्तर ऋ को अ तथा ष्ण के स्थान पर ह । मियंको, मयंको मृगाङ्क: - मकारोत्तर ऋकार को इत्व, ग का लोप और अ स्वर को यश्रुति । ६ इहामियो इहामृग:- मकारोत्तर ऋ को इस्त्र, ग का लोप, अस्वर शेष तथा य श्रुति, विसर्ग को ओव । मिसराओ मृगशिरा:- मकारोत्तर ऋकार को इत्व, ग लोप, अ स्वर शेष तथा श्रुति, तालव्य श को दन्त्य स । K इसिगुत्तो ऋषिगुप्तः - ऋकार को इत्व, मूर्धन्यष को स, संयुक्त प का लोप, aatara | इसिदत्तं ऋषिदत्तम् - ऋकार को इत्व, मूर्धन्य ष को दन्त्य स । धिट्टो, घट्टो टष्टः - धकारोत्तर ऋकार को विकल्प से इत्व, संयुक्त ष का लोप, ट को द्वित्व, द्वितीयट को ठ, विसर्ग को ओत्व । पिट्ठ, पठ्ठे पृष्टम् - पकारोत्तर ऋकार को विकल्प से इत्व, संयुक्त ष का लोप, ट atra तथा द्वितीय ट को ठ । विफई, बहरफई 4 बृहस्पतिः - वकारोत्तर ऋकार को विकल्प से हत्व, स्प को फ, तकार का लोप और इ स्वर शेष को दीर्घ ।
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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