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________________ माँ सरस्वती सम्यगज्ञान नमो नमो नाण दिवायरस्स.... ज्ञान के दो प्रकार है । १) सम्यग्ज्ञान और २) मिथ्याज्ञान... ३ ५) पावन बनाता है । ६) सद्गुणों का विकास करता है । (७) दुःख में भी मार्ग सुझाता है ८) नम्र और विवेकी बनाता है । ९) स्वभावदशा है, आबादी हैं । १०) आत्मा के शुद्ध स्वरुप का ज्ञान कराता है । श्री सम्यग्ज्ञानोपासना विभाग १) तारता है । मारता है । २) उत्थान करता है । २) पतन करता है । ३) सद्गति / परमगति देता है । ३) दुर्गति देता है । ४) आत्मा का मित्र है । ४) आत्मा का शत्रु है । ५) पापी बनाता है । ६) सद्गुणोंका विनाश करता है । । ७) सुख में भी मार्ग भुलाता है । ८) अभिमानी और अविवेकी बनाता है । विभावदशा है, बरबादी है । ९) मिथ्याज्ञान (१०) आत्मा और मोक्ष को ही भुला देता है । अब हमें पसंदगी करनी है... दोनों में से कौनसा ज्ञान अपनाना है ? हमारा जवाब एक ही होगा -सम्यग्ज्ञान । सम्यग्ज्ञान एक दीपक है, जो हमारे भवोभव के मिथ्यात्व और अज्ञान रूपी अंधकार को क्षण में नष्ट कर देता है । जिस तरह सिंह की गर्जना से हाथी, मयुर को देखकर साप और बिल्ली को देखकर चुहे भाग जाते है, उसी तरह सम्यग्ज्ञान का आगमन होते ही मिथ्यात्व अज्ञान भाग जाता है । सम्यग्ज्ञान द्वारा ही हम कृत्य अकृत्य, पेय-अपेय, भक्ष्य-अभक्ष्य . पुण्य-पाप, धर्म-अधर्म, स्वर्ग-नरक, मोक्ष - निगोद, संयम - संसार आदि का भेद समझ सकते है | विवेक - अविवेक को पहचान सकते है । इसलिए हमें सम्यग्ज्ञान प्राप्त करने प्रचंड पुरुषार्थ करना ही चाहिए ।
SR No.032027
Book TitleSamyag Gyanopasna Evam Sarasvati Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshsagarsuri
PublisherDevendrabdhi Prakashan
Publication Year2007
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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