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________________ माँ सरस्वती २ श्री सम्यग्ज्ञानोपासना विभाग करना । ३) बहुमान आचार : ज्ञानी तथा ज्ञान पर अंतर से प्रेम- बहुमान करना । ४) उपधान आचार : सूत्रादि की पढाई करने से पहले सविशेष तप-जप करना । ६) व्यंजन आचार ७) अर्थ आचार ८) तदुभय आचार ५) अनिन्हव आचार : विद्या दाता गुरुदेव / शिक्षक का नाम छुपाना नहि । उनकी निंदा-अपमान नहिं करना । : सूत्रादि के १-१ अक्षर शुद्ध उच्चार पूर्वक पढना । : सूत्रादि के अर्थ - भावार्थ- गूढार्थ शुद्ध पढना । : सूत्र + अर्थ दोनो के गुढार्थ को शुद्धता पूर्वक एवं शुद्ध भावसे हृदयस्य एवं आत्मस्थ करना । इन आचारों का पालन करने से पापों का नाश होता है । और आचार का पालन न करनेसे भयंकर दोष लगता है, जिसे अतिचार कहते है । अतिचार से बचने हेतु आचारों का पालन अवश्य करे, फिर तो केवलज्ञान नजदीक है ।
SR No.032027
Book TitleSamyag Gyanopasna Evam Sarasvati Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshsagarsuri
PublisherDevendrabdhi Prakashan
Publication Year2007
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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