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________________ [३] विश्वके प्रत्येक रजकणमें आलिप्त दिव्यता और मनुष्यत्वको जाननेका उनका आस्मिक तेज आज बहुत कम देखा गया है। प्रेमके ही देवी प्रेमके संदेश प्रकाशक उनके भवयुक्त हास्य, अतिशय सादगी और निर्दोषता, आंखकी नमृता और उसके कोनेमें विराजित विश्व वात्सल्य देखकर खूनीकी आंखमें भी प्रेमके अश्रु भर आवें ऐसा जादू उनमें दिखता है । एकांतमें बैठकर आज वे सचे तत्वका चितवन करते हैं। जगदकल्याणकी भावना भावते हैं । पुस्तकोंको पढ़कर पुस्तकोंमें रखनेके योग्य ज्ञानका त्याग कर सरलता युक्त जीवन व्यतीत कर उसमें से सहज प्रकट आत्मज्ञानको ग्रहण करनेको कूच करना शरू किया है। और इन सर्व मनोहर दृश्योंमें उन्होंने मात्र ॐ अहम्के पवित्र मंत्रको स्थापित किया है। इस मंत्रकी शक्ति बहुत है। आश्चर्य युक्त है। आत्माको आनन्दके शिखरपर स्थापित करनेवाला मंत्र यही है । यह उनका पूरा मंतव्य हैं। उनके समागममें आनेवाले प्रत्येक राजा माहरान, विद्वान या कृषक, गरीब या अमीर सर्वको उनका एक ही संदेश है । "प्रमाद न सेवो, जीवनमेंसे जितनी पल तुम ॐ अहम्के उच्चार जापमें व्यतीत करोगे वे तुम्हारे अमोल पल हैं । यही तुम्हारे जीवनका भाता है । अतएव जितना होसके उतनी निवृती लेकर आत्म-चिन्तनमें और ॐकारके जापमें तल्लीन बनो ।" यह उनका आदेश है । जीवनका सार है। शांतमूर्ति मुनी माहराज श्रीमद शांतीविजयजी माहरामके परिचयमें अनेक अजैन महाशय आते हैं उनमें से थोड़ोंके आपके विषयके उद्गार यहांपर पाठकोंके जानने योग्य होनेसे दिये जाते हैं। "शांतीविजयजीके नेत्र अदभुत और कुदरती बड़े और विशाल हैं । वे किसीकी तरफ इस तरहसे नजर डालते हैं मानो वे हृदयके अन्दरके ख्यालातको पढ़ते हैं। उनका • रंग काला है लेकिन यह अद्भुत है के ध्यानमें उनका रंग कई गुणा अच्छा होनाता है। मैंने इस चमतकारको स्वयं देखा है। एक प्रकाशका छोटासा बिन्दु जिसको संस्कृतमें 'तारक बिंदु' कहते हैं नाकके ऊपर चक्षुसे चक्षुमें चमकता हुआ तथा दो पतियों का योगका कमल जिसे अग्नचक्र कहते हैं पेशानी (ललाट)के ऊपर साफ नजर आता है । मिस एलिजीबेथशाप-मुपरिन्टेन्डेन्ट एज्यूकेशन, लीमड़ीस्टेटके अंगरेजी लेखका अनुवाद । x 'परम योगी माहरान श्री शांतीविनयनी, मारा धारवा प्रमाणे एक महान योगी छे, योगनो मार्ग तेमना हाथर्मा सारो आव्यों छे. मारे तेमनी साथे जे वात थई छे, तेमा एक
SR No.032025
Book TitleShantivijay Jivan Charitra Omkar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAchalmal Sohanmal Modi
PublisherAchalmal Sohanmal Modi
Publication Year
Total Pages28
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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