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________________ . .. ( ४ ) ३-शास्त्रार्थ नागरी भाषामें होगा। ४-हरएक पक्ष की ओरसे एक २ प्रश्नपत्र जिसपर मन्त्रीके हस्ताक्षर होंगे, दूसरे पक्षके मन्त्री के पास भेजा जावेगा और उत्तर भी मन्त्रीहीके हस्ताक्षरी भेजे जावेंगे। प्रार्यसमाजकी ओरसे पं० जयदेव शम्मा मन्त्री होंगे और श्री जनतत्वप्रकाशिनी सभा इटावाको मोरसे लाला चन्द्रसेन जी वैद्य मन्त्री होंगे। ५-प्रश्नपत्र में एक ही प्रश्न होगा, ६-प्रश्नोत्तर होके मंत्रीके पास १० दिन तक पहुंच जाने चाहिये और वे रजिस्टरी द्वारा भेजे जावें। ७-प्रथम प्रश्नपत्र शापसमें ता० ११ जुलाई १९१२ की शामके ५ बजे तक एक दूसरेके पास पहुंच जाने चाहिये। ___-प्रश्नोत्तरोंको पत्रों में छपवानेका प्रबन्ध हरएक मन्त्री अपना अपने श्राप करें। यह भी निश्चय हुमा कि दोनों पक्ष अब इस शास्त्रार्यके विषयमें कोई विज्ञापन न छापे जावें और ऊपर लिखित नियमोंपर शान्तिपूर्वक शास्त्रार्थ प्रारम्भ कर दिया जावे। १दः प्यारेलाल ५ गौरीशंकर २ दः ताराचन्द Mitthan lall ३ दः चौथमन ४ दः पन्नालाल प्रकाशक जयदेव शर्मा मंत्री _ता० १०-७-१९१२ इस विज्ञापन को पाते ही हम लोगों की ओर से नियमानुमार एक प्रश्न ईश्वरके सष्टि कर्तृत्वके विषय में मार्यभमाजको भेज दिया गया और दो बजे दिनके लग भग प्रार्यसमाजमा प्रश्न भी हम लोगों को प्राप्त हो गया और इस प्रकार या शास्त्रार्थ प्रारम्भ हो गया। (नोट) यह शाखार्थ अभी बराबर चल रहा है और समाचार पत्रों में छपवाया जायगा और पुस्तकाकार भी प्रकाशित होगा। ___ आज प्रातःकाल और मध्यान्हमें दो बार पंडित दुर्गादत्त जी शास्त्री . - -
SR No.032024
Book TitlePurn Vivaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Tattva Prakashini Sabha
PublisherJain Tattva Prakashini Sabha
Publication Year1912
Total Pages128
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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