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________________ .-*पांचवाँ परिच्छेद ॥-- जंबू कुमारका विवाहोत्सव - और - आजन्म ब्रह्मचर्यका नियम. इधर उसी नगरमें धनसे धनदके समान ऋद्धिवाले आठ साहू कार रहतेथे, उन्होंके नाम ये थे पहलेका 'समुद्रप्रिय' और उसकी पत्नीका नाम 'पद्मावती' था दूसरेका नाम 'समुद्रदत्त' था 'कनकमाला' नामकी उसकी पत्नी थी तीसरेका नाम 'सागरदत्त' था और पतिका विनय करने में तत्पर विनयश्री नामकी उसकी प्रिया थी चौथेका नाम कुबेरदत्त था वह ऋद्धिसभी कुबेरके सदृशही था और शीलालंकारको धारण करनेवाली 'धनश्री' नामकी उसकी भार्या थी। इन चार साहूकारोंके घर क्रमसे 'विद्युन्माली' की चारों देवियोंने पुत्रीपने जन्म लिया, उनका नाम (१ समुद्रश्री,) (२ पद्मश्री,) (३ पद्मसेना,) तथा (४ कनकसेना) था बाकीके चार साहूकारोंका नाम-'कुबेरसेन' उसकी पत्नीका नाम 'कनकवती' था दूसरा 'श्रमणदत्त' था उसकी भाया 'श्रीषणा' थी तीसरा 'वसुषेण' था उसकी पत्नी 'वीरमती' थी और चौथा 'वसुपालित' था 'जयसेना' नामकी उसकी प्रिया थी। इन चारोंकेभी चार कन्यायें थीं उन कन्याओंके
SR No.032011
Book TitleParishisht Parv Yane Aetihasik Pustak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilakvijay
PublisherAatmtilak Granth Society
Publication Year1917
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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