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________________ भी रत्नप्रभाकर ज्ञानपुष्पमाला. पुष्प नं. 92. एक प्रसिद्ध वक्ता कि तस्करवृत्तिका नमना" स्थानकवासी पूज श्रीलालजीने जिनको दोषित समज अपने टोलासे निकाल दीये उस्मे ढूंढक साधु चोथमलजी भी एक है वह स्वच्छन्दचारी हो आजकाल कितनेक अज्ञ भक्तोंद्वारा अपने नामके साथ प्रसिद्ध वक्तापने कि उपाधि को प्राप्त कर उसको अपने सिरपर लदा हुवा फीरता है / इतना ही नही बल्के अपना जीवन और उदयपुर के चतुर्मास का हाल भी जनता को धोखा में डालने को छपवाया है पर उसमें सत्यता कितनी है ? वह हम नही कह सक्ते है पर खास उदयपुर कि ढूंढक समाजने एक " निवेदन पत्रिका" नामका ट्रेक्ट छपवाया जिस्मे चोथमलजी कि कितनी धूल उडाईथी फिर भी प्रशंसा पिपासुओं को शरम क्यों नही आती है ? स्यात् कलिकाल का प्रभाव इस कों ही तो नहीं कहते होंगे / एक मनुष्य पेट पूजा के लिये तांम उमर भर नाटक में नोकरी करी हो वह वेश धारण करनेपर गायन के लटकों से मुग्ध लोगों को अपने इष्ट से भ्रष्ट कर अनंत संसारी बना देने में भी अपना गौरव समजता हो तो इसके सिवाय मूर्खता ही क्या हो सकी है। अगर देखा जावे तो चोथमलजी के व्याख्यान में कीस्सा कहानियों व राग रागनियों के सिवाय आत्मज्ञान तत्त्वज्ञान अध्यात्मज्ञान और ऐतिहासिक ज्ञान कितना है ? विद्वानों से यही उत्तर मिलेगा कि जितना पान में घृत /
SR No.032009
Book TitleEk Prasiddh Vakta Ki Taskar Vrutti Ka Namuna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunsundarsuri
Publisher
Publication Year
Total Pages16
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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